Inner Ring Road Scam: आरोप पत्र का जवाब न देने वाले अफसरों पर होगी कार्रवाई
प्रशासन के दस अफसर और कर्मचारी एडीए के छह अमीन यूपीएसआइडीए के दो कर्मचारी घोटाले में हैं फंसे। 18 में से 10 ने आरोप पत्र का जवाब दे दिया है। मंडलायुक्त बोले बख्शे नहीं जाएंगे एक भी अफसर और कर्मचारी एक हजार हेक्टेअर जमीन की हुई खरीद।
आगरा, जागरण संवाददाता। इनर रिंग रोड और लैंड पार्सल की जमीन खरीद में हुए घोटाले की जांच तेज हो गई है। तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एसएलओ) जेपी सिंह, प्रशासन के दस अफसरों और कर्मचारियों, आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) के छह अमीनों और उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीएसडीआइए) के दो कर्मचारियों को आरोप पत्र एक माह पूर्व जारी किया गया था। 18 में से 10 ने आरोप पत्र का जवाब दे दिया है। बाकी आठ अफसरों और कर्मचारियों ने जवाब नहीं दिया है। इन सभी के खिलाफ आगे की कार्रवाई चालू हो गई है। मंडलायुक्त अमित गुप्ता का कहना है कि एक हजार हेक्टेअर की जमीन घोटाले में शामिल किसी भी अफसर और कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। जल्द ही इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
यह है घोटाला
एसएलओ जेपी सिंह सहित अन्य ने इनर रिंग रोड और लैंड पार्सल की जमीन में घोटाला किया। रोड से 100 से 150 मीटर की दूरी पर स्थित जमीन को पास दिखाकर एक हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर से अधिक का मुआवजा दिया गया। बंजर जमीन का भी अधिक रेट लगाया गया है। किसानों से ठीक से करार नहीं भराए गए हैं। किसानों को करार की सही जानकारी नहीं दी गई है। तय रेट से अधिक भुगतान किया गया है।
इनर रिंग रोड बनने से फायदा
नेशनल हाईवे-19 को ग्वालियर रोड से जोड़ने की तैयारी चल रही है। 25 किमी लंबा रोड तीन चरण में बन रहा है। पहले चरण का काम पूरा हो चुका है। दूसरे चरण का काम निर्माणाधीन है और तीसरे चरण की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बन रही है।
कार्रवाई की जा रही है
डीएम प्रभु एन. सिंह ने बताया कि इनर रिंग रोड की जमीन घोटाले में एसएलओ सहित दस को आरोप पत्र जारी किए जा चुके हैं। कुछ ने जवाब नहीं दिया है। ऐसे अफसर और कर्मचारियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जा रही है।
अमीनों को जारी किए आरोप पत्र
एडीए उपाध्यक्ष डाॅ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि छह अमीन जांच में फंस गए हैं। अमीनों को आरोप पत्र जारी हो चुके हैं। इसकी रिपोर्ट मंडलायुक्त को भेजी जा चुकी है।
जेल भेजा जाए
किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने कहा कि दोषी अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जेल भेजने के साथ ही सरकारी धन की वसूली होनी चाहिए।