New Education Policy: अब बीएससी में गणित के साथ पढ़ सकेंगे हिंदी व इतिहास
New Education Policy शिक्षा में बदलाव। नई शिक्षा नीति में की गई है व्यवस्था। अब दो वर्ष की पढ़ाई करने वालों की बर्बाद नहीं होंगी साल मिलेगा डिप्लोमा का प्रमाण पत्र। महाविद्यालय अभी तक विश्वविद्यालय की ओर से जारी होने वाली गाइड लाइन का इंतजार कर रहे हैं।
आगरा, जेएनएन। अब नई शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। इसके तहत बीएससी करने वाले विद्यार्थी हिंदी व इतिहास की पढ़ाई भी कर सकेंगे। इतना ही नहीं अगर दो वर्ष की पढ़ाई करने के बाद छात्र बीएससी की तीसरी वर्ष नहीं पढ़ना चाहते हैं, तो उन्हें डिप्लोमा का प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा, जबकि चार वर्ष की पढा़ई करने पर ओनर्स की डिग्री दे दी जाएगी। हालांकि मथुरा शहर के महाविद्यालय अभी तक विश्वविद्यालय की ओर से जारी होने वाली गाइड लाइन का इंतजार कर रहे हैं। अभी तक अगर कोई छात्र बीएससी करता था, तो उसे तीन वर्ष तक पढ़ाई करनी होती थी। उसमें भी अगर कोई पीसीएम (गणित, भौतिक, रसायन विज्ञान) से करता था तो कोई जेडबीसी (जूलोजी,बाटनी,रसायन विज्ञान) से करता था। इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प ही नहीं था। अगर किसी की रुचि गणित में होती थी और उसे रसायन विज्ञान पसंद नहीं थी। तब भी तीनों की विषय झेलने पड़ते थे, लेकिन अब विकल्प तैयार कर दिया गया है। छात्र अपने मनपसंद विषय ले बीएससी कर सकेंगे। बीएससी में हिंदी और इतिहास जैसे विषय भी शामिल कर दिए हैं।
अब बोझिल नहीं होगी पढ़ाई
नई शिक्षा नीति छात्रों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। जब तक मन लगे। तब तक संबंधित डिग्री को पढ़ाई कर सकते हैं। स्नातक की डिग्री के लिए हर वर्ष विषय में भी बदलाव किया जा सकता है। छात्र अपनी रुचि के अनुसार पढ़ाई कर सकेंगे। अगर एक वर्ष की पढ़ाई करेंगे, तो उन्हें एक वर्ष का सर्टिफिकेट मुहैया कराया जाएगा। जबकि दो वर्ष की पढ़ाई पर डिप्लोमा मान लिया जाएगा। तीन वर्ष की पढ़ाई पर स्नातक की डिग्री मिलेगी। चार वर्ष की पढ़ाई करने पर आनर्स का प्रमाण पत्र मिलेगा।
नई शिक्षा नीति में कई बदलाव किए गए हैं। अब दो वर्ष की बीएससी की पढ़ाई करने के बाद अगर छात्र तीसरी वर्ष की पढ़ाई नहीं करना चाहता है, तो उसे डिप्लोमा का प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा। विषयों में भी विकल्प की सुविधा विद्यार्थियों को मिलेगी। कितने विषय विकल्प में रखे गए हैं। इसको लेकर हम अभी विश्वविद्यालय से जारी होने वाली गाइड लाइन का इंतजार कर रहे हैं।
डा. बबिता अग्रवाल, प्राचार्य - बीएसए कालेज