कलींजर गांव, जहां जागरूकता ने कोरोना की इंट्री की बैन

गांव के बाहर लगा दिया है चेतावनी बोर्ड बिना जरूरत घर से नहीं निकलते हैं घर से बाहर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 09:00 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 09:00 PM (IST)
कलींजर गांव, जहां जागरूकता ने कोरोना की इंट्री की बैन
कलींजर गांव, जहां जागरूकता ने कोरोना की इंट्री की बैन

आगरा (बाह), (सत्येंद्र दुबे)। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर गांवों तक पहुंच गई है। गांव-गांव संक्रमित मरीज मिल रहे हैं। चाहे पहली लहर हो या फिर दूसरी बाह के बटेश्वर क्षेत्र का कलींजर गांव ऐसा है, जिसमें कोरोना इंट्री नहीं कर पाया है। इसका मतलब यह कतई नहीं कि कोरोना यहां नहीं आ सकता। न आने की वजह यहां पर लगी स्वयंसेवी संस्था और ग्रामीणों की जागरूकता है।

कोरोना संक्रमण से यमुना किनारे बसा कलींजर गांव अछूता है। इस गांव की आबादी 800 के आसपास है। कोरोना संक्रमण के साथ ही ग्रामीणों ने जागरूकता का परिचय दिया। ग्रामीणों ने गांव के बाहर चेतावनी बोर्ड लगा दिया। उसमें लिखा है कि गांव में आना है तो पहले कोरोना की जांच कराओ। इस गांव के लोग भी कोरोना संक्रमण को लेकर जागरूक हैं। सरकार की कोविड-19 को लेकर जारी की गई गाइडलाइन का सख्ती से पालन कर रहे हैं। बच्चा हो या नौजवान, बुजुर्ग जरूरत पड़ने पर ही घरों से मास्क लगाकर बाहर निकलते हैं। इसका जीता जागता प्रमाण बुधवार दो देखने को मिला। गांव की गलियां इस तरह सूनी पड़ी थी कि गांव में क‌र्फ्यू है या फिर कोई रहता ही नहीं है।

हेल्पिग हैंड कर रही जागरूक --- क्षेत्र में हेल्पिग हैंड नामक सामाजिक संस्था कार्यरत है। वह सामाजिक कार्य में बढ़ चढ़कर भाग लेती है। इस समय संस्था के बबलू यादव, राहुल शर्मा, वैभव शर्मा, आशीष यादव, मनीष राजपूत, डा. अवधेश,राहुल यादव, अम्बेश, कन्हैया, अभिषेक, आकाश राजपूत, गोविद, बंटी आदि रोजाना ग्रामीणों को जागरूक कर कोरोना संक्रमण से किस तरह से बचा जा सकता है, इसकी जानकारी दे रहे हैं। पिछली साल की थी बेरिकेडिग --- ग्रामीण बताते है कि गांव के युवा वर्ग ने पिछले साल लाकडाउन के दौरान यहां के लोगों ने बेरिकेडिग कर दी थी। नतीजा यह निकला कि पिछले साल एक भी कोरोना का मरीज नहीं निकला। दूसरी लहर में ग्रामीण उससे भी अधिक सतर्कता बरत रहे है। बैठते हैं लेकिन दूरी बनाकर --- ऐसा भी नहीं कि यहां के रहने वाले लोग आपस में बात न करते हों या फिर साथ-साथ बैठते न हों, जो पहले होता था वह अब भी कर रहे हैं। लेकिन सरकारी गाइडलाइन के तहत मास्क के साथ दो गज की दूरी बना आपस में चर्चा करते हैं। गांव का या बाहरी व्यक्ति अगर बिना मास्क के आता है तो हेल्पिग हैंड मास्क उपलब्ध कराने के साथ जागरूक भी करती है।

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