School Fee: पढ़ाई बनी जी का जंजाल, फीस और शिकायतों में फंसे नौनिहाल और माता-पिता

आगरा में तमाम स्कूलों ने फीस न देने पर विद्यार्थियों को आनलाइन कक्षाओं से निकाला। परीक्षा में नहीं होने दिया शामिल शासनादेश के बाद भी शिकायतों पर नहीं हुई कार्रवाई। यहां तक कि आनलाइन परीक्षाएं होने के बावजूद परीक्षा शुल्‍क भी वसूला जा रहा है।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 09:31 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 09:31 AM (IST)
School Fee: पढ़ाई बनी जी का जंजाल, फीस और शिकायतों में फंसे नौनिहाल और माता-पिता
आगरा में स्‍कूल फीस में कोई रियायत न मिलने पर अभिभावक आंदोलनरत हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण के चलते पहली बार लगाए गए पूर्ण लॉकडाउन के दौरान तो स्‍कूल की फीस में कोई रियायत नहीं दी। दूसरी लहर के दौरान घरों में बैठकर चल रही ऑनलाइन पढ़ाई में जरूर सरकारी स्‍तर से राहत दी गई कि स्‍कूल अन्‍य मदों में पैसा नहीं वसूल सकते। लेकिन आगरा के स्‍कूल, शासन के इस आदेश को मानने को तैयार नहीं हैं। फीस अब भी पहले के समान ही मांगी जा रही है। लाइब्रेरी फीस, एक्टिविटी फीस, कंप्‍यूटर लैब फीस, आइडी कार्ड और कैलेंडर फीस जैसे मदों में अभिभावकों से पैसा मांगा जा रहा है। डीएम आगरा ने भी शासन के आदेश के अनुपालन में आदेश जारी कर दिया लेकिन उसके बावजूद अभिभावकों को कोई राहत नहीं दी जा रही है। अभिभावक अधिकारियों के पास चक्‍कर लगा रहे हैं कि सर, काम धंधा चौपट पड़ा है। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल, टैब और डाटा के मद में पैसा भी खर्च कर रहे हैं, ऐसे में स्‍कूल की फीस कहां पूरी दे पाएंगे, लेकिन सुनवाई किसी स्‍तर पर नहीं हो पा रही। आइए जानते हैं अभिभावकों का दर्द...

केस वन

बाग मुजफ्फफर खां निवासी मनोज सिंह की दो बेटियां पास के ही कान्वेंट स्कूल में पढ़ती हैं। कोरोना काल में स्कूल फीस जमा नहीं कर पाए, तो स्कूल ने बेटियों को आनलाइन ग्रुप से निकाल दिया, फीस माफी का प्रार्थना-पत्र भी नहीं लिया। डीआइओएस और कमिश्नर से शिकायत की है।

केस टू

मारूति सिटी निवासी राकेश चावला के बच्चे शमसाबाद रोड स्थित पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं। स्कूल ने फीस न मिलने पर मार्च में उन्हें आनलाइन शिक्षण ग्रुप से हटा दिया। दो बार से परीक्षा में भी शामिल नहीं होने दिया। डीआइओएस से शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई।

केस तीन

कमला नगर निवासी गौरव प्रताप सिंह की बेटी संजय प्लेस स्थित कान्वेंट स्कूल में पढ़ती है। कोरोना काल में नौकरी चली गई, आर्थिक स्थिति के कारण स्कूल फीस नहीं दे पाए। स्कूल ने बेटी को आनलाइन कक्षा से निकाल दिया। किश्त में फीस देना चाहते हैं, लेकिन स्कूल नहीं मान रहा।

केस चार

खंदारी स्थित रामानंद शर्मा के दो बच्चे हाईवे स्थित कान्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं, उन्होंने स्कूल में फीस कम करने का प्रार्थना पत्र दिया, तो स्कूल ने लेने से ही मना कर दिया। फीस रसीद में मैग्जीन, कंप्यूटर, लाइब्रेरी आदि की फीस भी जोड़ दी। डीआइओएस से शिकायत पर सुनवाई नहीं हुई।

ये महज कुछ ही मामले हैं, लेकिन आजकल शहर के हर घर में लोग यह समस्या झेल रहे हैं। फीस न मिलने के कारण कुछ स्कूलों ने शासनादेश हवा में उड़ाते हुए विद्यार्थियों को आनलाइन शिक्षण ग्रुप से हटाने के साथ उन्हें परीक्षा में बैठाने से इंकार कर दिया है। स्थिति यह है कि स्कूलों ने फीस में रियायत देने वाले प्रार्थना-पत्र भी लेना बंद कर दिया। जबकि शासनादेश है कि कोई भी स्कूल विद्यार्थी को फीस के अभाव में न तो आनलाइन क्लास से निकालेगा, न परीक्षा में बैठने से रोकेगा। सिर्फ शिक्षण शुल्क लिया जाएगा, बावजूद इसके अभिभावकों से तमाम मदों में फीस जबरन वसूली जा रही है। इसकी शिकायत अभिभावक जिला बेसिक शिक्षाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) व जिला प्रशासन तक कर चुके हैं।

पापा चला रहा है आंदोलन

प्रोग्रेसिव आगरा पेरेंट्स एसोसिएसन (पापा) के दीपक सरीन का कहना है कि स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं, जबकि विभागीय अनदेखी उनका हौसला तोड़ रही है। संस्था ने डीआइओएस से 41 स्कूलों की शिकायत की थी, उसके बाद 36 स्कूलों की लिस्ट और अभिभावकों के प्रार्थना पत्र डीएम को सौंपे। 56 स्कूलों की शिकायत जिला शुल्क व नियामक समिति से की। हालांकि समिति ने शिकायत पर स्कूलों को नोटिस जारी किए, लेकिन जवाब क्या आया? उन्हें आज तक नहीं पता। संस्था अब तक 450 से ज्यादा प्रार्थना-पत्र दे चुकी है, लेकिन समाधान कोई नहीं निकला।

जारी कर रहे हैं नोटिस

अभिभावकों की शिकायत पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं। अब तक करीब 54 स्कूलों को नोटिस जारी किए गए। उन्होंने शिकायतकर्ता अभिभावकों को राहत देने का भरोसा भी दिया। उसके बाद दोबारा शिकायत नहीं मिली। वहीं ज्यादा फीस वसूले जाने की शिकायत पर कल भी कुछ स्कूलों को नोटिस जारी किए हैं।

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