Negligence: कैसे लौटेगी पुरानी साख, आंबेडकर विवि में 11 सालों से नहीं हुई नई शोध

2012 में राममनोहर लोहिया विवि ने कराई थी संयुक्त प्रवेश परीक्षा। 2009 तक ही हुए हैं शोध के पंजीकरण 2018 में हुई थी प्रवेश परीक्षा।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 09:50 AM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 09:50 AM (IST)
Negligence: कैसे लौटेगी पुरानी साख, आंबेडकर विवि में 11 सालों से नहीं हुई नई शोध
Negligence: कैसे लौटेगी पुरानी साख, आंबेडकर विवि में 11 सालों से नहीं हुई नई शोध

आगरा, प्रभजोत कौर। डा. भीमराव आंबेडकर विवि। दो मंडल, आठ जिले। पांच लाख से ज्यादा विद्यार्थी। कई प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री जैसे रह चुके हैं यहां के पूर्व छात्र। वर्तमान में 950 कालेज संबद्ध और आवासीय परिसर में पचास से ज्यादा पाठ्यक्रम संचालित। 2009 से अभी तक लगभग दो हजार शोध परीक्षार्थी पंजीकृत। केवल एक बार स्वयं कराई है शोध के लिए प्रवेश परीक्षा। दर्जनों शोध पत्रों पर आज भी जमी है धूल।

यही हकीकत है आंबेडकर विवि की। किसी भी विवि की पहचान वहां पढ़ने वाले विद्यार्थी, शोध, शिक्षक और शिक्षण संबंधी गतिविधियों से होती हैंं। आंबेडकर विवि एकमात्र एेसा विवि है जहां पिछले 11 सालों से पीएचडी के लिए केवल एक बार प्रवेश परीक्षा कराई गई है। 2018 में हुई प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हुए विद्यार्थी अब शोध उपाधि समिति की बैठक और कोर्स वर्क के बाद होने वाली परीक्षा की बाट जोह रहे हैं।

2009 तक हुए हैं पंजीकरण

विवि में शोध के लिए 2009 तक ही पंजीकरण हुए हैं।2009 और उससे प हले वाले शोधार्थियों को ही हर साल दीक्षांत समारोह में उपाधियां दी जाती हैं। शासन द्वारा पीएचडी में प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश के आदेश के बाद से विवि द्वारा प्रवेश परीक्षा ही नहीं कराई गई।

2012 में हुई थी संयुक्त प्रवेश परीक्षा

जून 2012 में राम मनोहर लोहिया विवि, फैजाबाद द्वारा संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराई गई थी। इस प्रवेश परीक्षा के बाद विवि में लगभग एक हजार शोधार्थी अलग-अलग विभागों में पंजीकृत हुए थे। 2012 के बाद विवि में इनका कोर्स वर्क अक्टूबर 2015 शुरू हुआ था, जो अप्रैल 2016 तक चला था।

दो साल पहले कराई थी प्रवेश परीक्षा

आंबेडकर विवि द्वारा 2018 में पीएचडी के लिए प्रवेश परीक्षा कराई गई थी। इस परीक्षा में उत्तीर्ण हुए विद्यार्थियों का कोर्स वर्क पूरा हो चुका है। आंतरिक परीक्षाएं भी हो चुकी हैं। इस साल मार्च में 26 और 28 को कोर्स वर्क के बाद होने वाली परीक्षा प्रस्तावित थी, जो लॉक डाउन के कारण स्थगित कर दी गई है।

तैयार हैं विद्यार्थी, पर विवि नहीं

कोर्स वर्क पूरा होने के बाद विद्यार्थी परीक्षा देने के लिए तैयार हैं। पर शासन के निर्देशों के बाद अब विवि इनकी परीक्षाओं को लेकर भी संशकित है। प्रमोट करने के आदेश के बाद शोधार्थी भी प्रमोट की आस लेकर बैठे हैं। हालांकि इन शोधार्थियों को आंतरिक परीक्षा व प्रोजेक्ट वर्क के आधार पर अंक दिए जा सकते हैं। यह परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही शोध उपाधि समिति की बैठक होगी, जिसमें विषय और गाइड तय किए जाएंगे।

धूल खा रहे हैं शोध

विवि के रिसर्च विभाग में शोधार्थियों के मेहनत की फाइलें धूल खा रही हैं। हर साल चुनिंदा वायवा होते हैं, जिसके बाद डाक्टरेट की उपाधि दी जाती है। पिछले साल दीक्षांत समारोह में लगभग 80 विद्यार्थियों को डाक्टरेट की उपाधि दी गई थी।

2018 में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा कराई गई थी।योजना थी कि अब हर साल प्रवेश परीक्षा कराई जाएगी। लेकिन लॉक डाउन के कारण एेसा मुमकिन नहीं हो पाया, अब शासन के निर्देशों का इंतजार है। उसके बाद ही परीक्षा संबंधी योजना बनाई जाएगी।

- प्रो. अशोक मित्तल, कुलपति

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