सोडियम हाईपोक्लोराइट से ताज को नहीं कोई नुकसान

-सैनिटाइजेशन से पूर्व एएसआइ की रसायन शाखा ने किया था अध्ययन -सफेद धब्बे पड़ने की स्थिति में पानी से धोकर कर सकते हैं साफ

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 07:00 AM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 07:00 AM (IST)
सोडियम हाईपोक्लोराइट से ताज को नहीं कोई नुकसान
सोडियम हाईपोक्लोराइट से ताज को नहीं कोई नुकसान

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में सैनिटाइजेशन में इस्तेमाल किए जा रहे सोडियम हाईपोक्लोराइट से ताजमहल को कोई नुकसान नहीं है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की रसायन शाखा संगमरमर पर इसके दुष्प्रभाव का अध्ययन कर चुकी है। इसके प्रयोग से संगमरमर पर पड़ने वाले सफेद धब्बे पानी से साफ किए जा सकते हैं। संगमरमर की मजबूती पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।

लंबे अरसे बाद ताजमहल 21 सितंबर को खोला गया है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सैनिटाइजेशन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पर्यटकों के हाथ-पैर के साथ स्मारक को दिन में दो बार सैनिटाइज किया जा रहा है। इसमें सोडियम हाईपोक्लोराइट का इस्तेमाल हो रहा है। सोडियम हाईपोक्लोराइट का संगमरमर पर कोई दुष्प्रभाव न हो, इसके लिए मई-जून में ही रसायन शाखा से अध्ययन करा लिया गया था। रसायन शाखा द्वारा सुरक्षित बताने के बाद उचित मात्रा में ही सोडियम हाईपोक्लोराइट का प्रयोग सैनिटाइज करने में किया जा रहा है। कपड़े खराब न हों, इसलिए बेंच को किया कवर

सेंट्रल टैंक स्थित संगमरमर की बेंच को एएसआइ द्वारा प्लास्टिक शीट से कवर किया गया है। बेंच को दिन में 20 से अधिक बार सैनिटाइज करना पड़ रहा है। सैनिटाइजेशन के बाद बेंच को सूखे कपड़े से पोंछ दिया जाता है। बेंच गीली रहने से पर्यटकों के कपड़े खराब हो सकते हैं। सोडियम हाईपोक्लोराइट के संपर्क में आने से एएसआइ के कुछ कर्मचारियों के कपड़ों का रंग उड़ चुका है।

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वर्जन

ताजमहल को प्रोफेशनल तरीके से सैनिटाइज किया जा रहा है। मुख्य मकबरे पर सैनिटाइजेशन की अधिक जरूरत नहीं है, क्योंकि दो बार पर्यटकों के पैरों को सैनिटाइज कराया जा रहा है। पर्यटक शू-कवर पहनकर ही वहां जाते हैं, जिससे वहा संक्रमण पहुंचने की संभावना नहीं है। ताजमहल बंद होने के बाद संगमरमर वाले हिस्से को सोडियम हाईपोक्लोराइट की कम मात्रा वाले मिश्रण से सैनिटाइज किया जा रहा है।

-वसंत कुमार स्वर्णकार, अधीक्षण पुरातत्वविद

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