पांच साल में जिला पंचायत आगरा में दो बार अविश्वास प्रस्ताव, एक बार तख्ता पलट
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बंपर जीत हासिल की। समाजवादी पार्टी की सरकार को हटाकर भाजपा ने अपनी सरकार बनाई। प्रदेश में इस परिवर्तन के कुछ महीने बाद ही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा।
आगरा, जागरण संवाददाता। जिला पंचायत का बीती बुधवार रात कार्यकाल खत्म हो गया। पांच साल के इस कार्यकाल में जिला पंचायत अध्यक्ष आगरा के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। इसमें से एक बार तख्ता पलट का प्रयास सफल रहा।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बंपर जीत हासिल की। समाजवादी पार्टी की सरकार को हटाकर भाजपा ने अपनी सरकार बनाई। प्रदेश में इस परिवर्तन के कुछ महीने बाद ही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा। तब सपा की कुशल यादव जिला पंचायत अध्यक्ष थीं। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले राजपाल यादव की पत्नी ने 14 जनवरी 2016 को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी संभाली। वह लगभग 20 महीने ही कुर्सी पर काबिज रह सकीं। भाजपा समर्थक सदस्यों ने सितंबर 2017 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा। जोकि सदन में पास हो गया और 28 सितंबर 2017 को कुशल यादव से यह कुर्सी छिन गई। कुछ महीने के लिए जिलाधिकारी जिला पंचायत के प्रशासक रहे। इसके बाद 18 मार्च से 2018 प्रबल प्रताप सिंह उर्फ राकेश बघेल ने जोड़तोड़ कर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुए। लेकिन उनके लिए भी यह कांटों से भरा ताज था। उनके खिलाफ भी शुरू से ही साजिश होती रहीं। जुलाई 2019 में प्रबल प्रताप के खिलाफ भी जिला पंचायत के सदन में अविश्वास प्रस्ताव रखा गया। जोकि गिर गया। इसे गिराने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी। अब उनका भी कार्यकाल खत्म हो गया है। अब चुनाव को लेकर गहमागहमी और ज्यादा तेजी से शुरू हो गई है।