School in Agra: आगरा में नए सत्र में पुरानी किताबें निभाएंगी साथ, पुराना सिलेबस देगा राहत
School in Agra पिछले साल के सिलेबस में नई किताबों की जरूरत नहीं। पिछले साल की किताबें जुटाकर भी शुरू कर सकते हैं पढ़ाई। पिछले शैक्षिक सत्र में लाकडाउन और कोरोना संक्रमण के कारण विद्यालय बमुश्किल कुछ ही दिन खुले।
आगरा, जागरण संवाददाता। एक अप्रैल से नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन विद्यालय बंद होने के कारण विद्यार्थियों को आनलाइन ही पढ़ना पड़ रहा है।नई कक्षा में ने के बाद नई किताबों की बाजार में कमी है, ऐसे में नए सत्र में पुरानी किताबें विद्यार्थियों का साथ निभाती नजर आएंगी।
पिछले शैक्षिक सत्र में लाकडाउन और कोरोना संक्रमण के कारण विद्यालय बमुश्किल कुछ ही दिन खुले। मजबूरी में ही सही, विद्यार्थियों की पढ़ाई का एकमात्र विकल्प आनलाइन शिक्षण ही था। लेकिन नए सत्र पर भी कोरोना संक्रमण का खौफ छाता दिखाई दे रहा है।हालांकि जैसे-तैसे तमाम विद्यालयों ने नई कक्षा में प्रवेश की औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं, कुछ में चल रही है।जबकि कई विद्यालयों में आनलाइन शिक्षण की शुरुआत हो चुकी है। इन सबसे बीच विद्यार्थियों को राहत वाली बात यह है कि विद्यालयों में किसी तरह का पाठ्यक्रम नहीं बदला है। इसलिए विद्यार्थी पिछले सत्र की पुरानी किताबें लेकर भी आगे की पढ़ाई कर सकते हैं।
इसलिए दिया आदेश
विद्यालयों को यह निर्देश इसलिए देने पड़े क्योंकि ज्यादातर विद्यालयों में एनसीईआरटी का ही सिलेबस लगा है, लेकिन वह किताबें बाजार में पुस्तक विक्रेताओं के यहां उपलब्ध नहीं। ऐसे में विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होने से बचाने के लिए विद्यालयों ने पुरानी विद्यार्थियों से पुस्तकें संकलित कर नए सत्र के विद्यार्थियों को दी जा रही है।
अभिभावक लगा रहे आरोप
स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत के साथ ही अभिभावक भी सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने निजी विद्यालय प्रबंधन पर तमाम आरोप लगाए हैं।अभिभावकों का कहना है कि विद्यालयों में नई किताबें लगा दी हैं। आनलाइन कक्षा शुरू होने का डर दिखाकर उन्हें खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है। कुछ विद्यालयों ने आनलाइन पढ़ाई के दौरान यूनिफार्म पहनकर आनलाइन कक्षा में शामिल होने के निर्देश दिए हैं।
वहीं कुछ अभिभावकों की शिकायत है कि निजी विद्यालयों द्वारा अभिभावकों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है।
पूरी फीस जमा करने का मानसिक दबाव बनाकर मानसिक व आर्थिक रूप से भी बोझ डाल रहे हैं, जबकि आनलाइन पढ़ाई के नाम पर सी सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है।
नई किताबों का दबाव नहीं
कुछ विद्यालय संचालकों का कहना है कि नए सत्र में कोर्स पिछले साल वाला ही है, बोर्ड ने उसमें कोई बदलाव नहीं किया है। इसलिए कोर्स वहीं रहने पर किताबों में भी ज्यादा बदलाव नहीं होना चाहिए। अब आनलाइन कक्षाएं शुरू हो गई हैं, तो विद्यार्थी पुरानी किताबें जुटाकर उनसे भी पढ़ सकते हैं। नई किताबें खरीदने की हिम्मत पहले ही नहीं थी।