Netaji Subhash Chandra Bose: नेताजी की हुंकार पर खौल उठा था एटा के युवाओं का खून, बुजुर्ग पीढ़ी को याद है वो जनसभा

सन 1925 में एटा शहर में की थी जनसभा 1941 में भी हुआ आगमन। शहर के रैवाड़ी मुहल्ला में त्रिवेणी चरन के आवास पर ठहरे थे। शहर ही नहीं आसपास के क्षेत्रों के लोग भी उन्हें देखने और सुनने के लिए आए थे।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 11:52 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 11:52 AM (IST)
Netaji Subhash Chandra Bose: नेताजी की हुंकार पर खौल उठा था एटा के युवाओं का खून, बुजुर्ग पीढ़ी को याद है वो जनसभा
नेताजी के आगरा मंडल में आगमन के दौरान का सहेजा गया चित्र।

आगरा, जेएनएन। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। इसी नारे से नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश के युवाओं को क्रांति की राह पर बढ़ाया था। 1925 में उन्होंने एटा आकर सभा की तो अंग्रेजों के खिलाफ उनकी हुंकार पर युवाओं का खून खौल उठा था। शनिवार को नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है तो बुजुर्ग पीढ़ी भी उस दौर में हुई जनसभा को याद कर रही है।

शहर के रैवाड़ी मुहल्ला निवासी अधिवक्ता त्रिवेणी चरन के पौत्र प्रदीप बिसारिया (74) बताते हैं कि उनके बाबा क्रांतिकारी थे, उनके नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंध थे। प्रदीप के अनुसार, बाबा अक्सर नेताजी के बारे में सुनाया करते थे। बताया था कि 1925 में नेताजी शहर में आए थे। जीटी रोड किनारे मैदान (अब बस स्टैंड) में उनकी सभा शाम को होनी थी। शहर ही नहीं, आसपास के क्षेत्रों के लोग भी उन्हें देखने और सुनने के लिए आए थे। व्यस्तता के चलते नेताजी रात को आ पाए थे, मगर लोग पूरे उत्साह से डटे रहे थे। नेताजी ने अपने ओजस्वी भाषण से लोगों में ऊर्जा का संचार कर दिया था। उन्होंने आजादी की लड़ाई में खून देने का आह्वान किया तो सभी के हाथ उठ गए थे। पूरा मैदान जिंदाबाद के नारे से गूंजता रहा था। प्रदीप बताते हैं कि सभा के बाद देररात नेताजी बाबा के घर आए थे। भोजन और रात्रि विश्राम यहीं किया था। भोर में वे गंतव्य की ओर निकल गए थे। 1941 में नेताजी अपनी कार से जीटी रोड होते हुए गुजर रहे थे, तब भी वे बाबा से मिलने आए थे। हालांकि उस समय अधिक समय रुके नहीं, खास लोगों से मिलकर चले गए थे।

chat bot
आपका साथी