Rescue Operation in Agra: 130 फीट गहरे बोरवेल में से मासूम को निकालने को NDRF ने अपनाई रोप लूप तकनीकी, जानिए कैसे सफल हुआ 'ऑपरेशन शिवा'

गाजियाबाद से आगरा पहुंची 29 सदस्यीय टीम तीन घंटे तक धैर्य के साथ करती रही काम। पहले भी हिसार और मथुरा में बोरवेल से कर चुकी है सफल आपरेशन। ग्रामीणों ने जताया एनडीआरएफ के साथ सेना की टीम का आभार। बच्‍चा सकुशल बाहर आने पर लगे जयकारे।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 11:50 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 05:57 PM (IST)
Rescue Operation in Agra: 130 फीट गहरे बोरवेल में से मासूम को निकालने को NDRF ने अपनाई रोप लूप तकनीकी, जानिए कैसे सफल हुआ 'ऑपरेशन शिवा'
130 फीट गहरे बोरवेल में से शिवा को बाहर लाते जवान।

आगरा, यशपाल चौहान। निबोहरा के गांव धरियाई में मासूम शिवा के बोरवेल में गिरने की खबर सुबह नौ बजे एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन को मिली थी।इसके बाद सड़क मार्ग से तूफानी रफ्तार से टीम गांव पहुंची। दोपहर दो बजे आपरेशन शुरू किया। रोप लूप तकनीकी का सहारा लेकर शिवा को सकुशल बोरवेल से बाहर निकाल लिया।अब टीम की कुशलता की चर्चा हो रही हैं।यह टीम पहले भी दो सफल आपरेशन कर चुकी है।

एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन के सीनियर कमांडेंट प्रवीन कुमार तिवारी के निर्देश पर 29 सदस्यी टीम दोपहर दो बजे गांव में पहुंची। टीम को लीड डिप्टी कमांडेंट कुलिश आनंद कर रहे थे। इसमें विशेषज्ञ इंस्पेक्टर जितेंद्र यादव, एसआइ संत सिंह और एसआइ भूपेंद्र सिंह के साथ अन्य सदस्य थे।यह बटालियन पूर्व में हिसार और मथुरा में बोरवेल से बच्चा निकालने का सफल आपरेशन कर चुकी थी। इसलिए वहां का अनुभव भी था।यही अनुभव सोमवार को काम आया।

कुछ इस तरह चला आपरेशन

- बोरवेल के ऊपर ऊबड़ खाबड़ था। इसलिए पहले एनडीआरएफ ने फाउंडेशन बनाया, जिससे बच्चे के ऊपर मिट़्टी गिरकर उसे क्षति न पहुंचे।

- सबसे पहले एनडीआरएफ की टीम ने पेंडेंट झूला इंप्रोवाइज्ड तकनीकी का इस्तेमाल किया। यह ऐसा झूला होता है तो नीचे पहुंचने के बाद खुल जाता है। इससे बोरवेल में फंसे बच्चे को रुकने का बेस मिल जाता है। इस पर खड़े होने या बैठने के बाद बोरवेल से ऊपर खींच लिया जाता है।

- बोरवेल संकरा था और शिवा के हाथ नीचे की ओर थे। इसलिए इस झूले को नीचे फंसाने की कोशिश सफल नहीं हो सकी। टीम ने कई बार प्रयास किया।

- इसके बाद टीम ने रोप लूप तकनीकी का इस्तेमाल किया।रस्सी का फंदा बनाकर नीचे फंसा दिया जाता है। इसको हाथ में कसकर ऊपर खींचा जाता है।

- बोरवेल में सीसीटीवी कैमरे और लाइट का प्रबंध किया गया। माइक से बच्चे के पिता की उससे बात कराई। रस्सी का फंदा सीसीटीवी कैमरे से निगरानी करते हुए नीचे ले गए। बच्चे को हाथ ऊपर करने को कहा तो उसने काफी प्रयास के बाद एक हाथ ऊपर कर लिया। इसमें एनडीआरएफ के जवानों ने फंसा कस लिया। इसी के सहारे से ऊपर खींचा।

- कैमरे और लाइट की मदद से बच्चे को टीम के सदस्य निर्देश देते रहे। पिता उसे मोटिवेट करते रहे।

- कभी बच्चे का सिर टेढ़ा हो जाता था तो कभी पैर। हर बार उसे समझाते थे और खींच लेते थे।

रुपये फंसाने पर बढ़ाया हाथ

कैमरे से एनडीआरएफ के जवान नजर रखे थे। शिवा का हाथ ऊपर कराने को पहले जवानों ने पतली रस्सी के माध्यम से बिस्कुट नीचे फंसाए, लेकिन उसने हाथ ऊपर नहीं किया। ऐसे में दोबारा रुपये फंसा दिए। इन्हें देखकर शिवा ने हाथ ऊपर किया। तभी रस्सी का फंदा उसके हाथ में कस दिया गया।

फरिश्ते बनकर आए जवान

शिवा के बोरवेल से बाहर निकलने के बाद एनडीआरएफ के जवानों को शिवा की मां मीना व अन्य स्वजन फरिश्ता बता रहे थे।वे बेटे की सलामती को भगवान के हाथ जोड़कर खड़े रहे। बाद में जवानों को ही भगवान का रूप और फरिश्ता बता रहे थे। उनका कहना था कि भगवान ने उन्हें फरिश्ते के रूप में बेटे की जान बचाने को भेजा था। वे जिंदगी भर उनकाे दुआ देते रहेंगे।

जिले में अब नहीं खुले रहेंगे बोरवेल

निबोहरा में बोरवेल में मासूम के गिरने की घटना के बाद डीएम प्रभु एन सिंह ने सभी अधिकारियों के लिए निर्देश जारी कर दिए। उनका कहना है कि अब जिले में कोई बोरवेल खुला नहीं रहेगा। एसडीएम, सीओ और एसएचओ अपने-अपने क्षेत्र में इसकी जांच करके रिपोर्ट देंगे।

समय पर पहुचे ऑक्सीजन के दो सिलेंडर

शिवा के बोरवेल में गिरने की सूचना पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम को हुई टीमें पहुंच गई।पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बोरवेल में आक्सीजन की सप्लाई जारी रखने के लिए तत्परता दिखाई। ग्रामीणों की मदद से बोरवेल में आक्सीजन की सप्लाई शुरू कर दी।

कुएं में उजाले के लिए किया शीशे का प्रयोग

पहले तो परिजनों को शिवा के बारे में कोई सूचना नहीं मिल पा रही थी। लेकिन जैसे ही वहां पर गांव के बच्चों ने बताया कि शिवा बोरवेल में गिर गया है तो तत्काल ही पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंच चुकी थी। वही ग्रामीणों ने बोरवेल में शिवा को देखने के लिए प्रयास किया लेकिन अंधेरा होने के कारण कोई जानकारी नहीं मिल सकी। ऐसे में टॉर्च का प्रयोग किया गया। लेकिन टॉर्च से भी कुछ दिखाई नहीं दिया। ऐसे में गांव के लोग घर में प्रयोग करने वाले शीशे को घटना स्थल पर लेकर पहुंचे तो रोशनी जैसे ही बोरवेल के अंदर गई। वहां पर शिवा हलचल करता हुआ दिखाई दिया। जिसके बाद परिवार और गांव वालों को यकीन हो गया कि शिवा बोरवेल में ही गिर गया है।

आपरेशन ए सफल होने के बाद ही बंद हुआ आपरेशन बी

शिवा को बचाने के लिए आपरेशन ए तथा आपरेशन बी भी चलाया जा रहा था। भले ही शिवा जब 10 फीट की गहराई पर रह गया था। फिर भी आपरेशन बी चलाया जाता रहा। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह था कि रेस्क्यू कर रही टीम कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। जब पूरी तरह से शिवा को बाहर निकाल लिया गया। तब जाकर आपरेशन भी को समाप्त किया गया। 

chat bot
आपका साथी