National Hand loom Day: चिंदी और सूत से बुन देते हैं सुंदर दरी, आगरा के कालीन की ब्रिटेन और जर्मनी में डिमांड
शनिवार को मनाया जा रहा है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस। फतेहपुर सीकरी में बड़े स्तर पर होता है चिंदी और सूत से दरी बुनाई का काम। दुनिया के कई देशों में पसंद किए जाते हैं हाथ से बने कपड़े के उत्पाद।
आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी की पहचान ताजमहल से तो है ही, यहां के हुनरमंदों ने भी अपने हुनर से शहर को पहचान दी है। पच्चीकारी का काम हो या जरदौजी का, इनके कद्रदान दुनियाभर में मिल जाएंगे। इसी तरह फतेहपुर सीकरी के दरी बुनकर भी हैं। वो चिंदी और सूत से सुंदर दरियां बुनते हैं। इनका निर्यात ब्रिटेन, जर्मनी समेत अन्य देशों में होता है, हालांकि बुनकरों की जिंदगी धागे ताने-बाने में उलझी हुई है। दिनभर मेहनत के बाद वो बमुश्किल 150 से 200 रुपये कमा पाते हैं। वहीं निर्यात के क्षेत्र में बीच में जुड़े लोग, इसमें मोटा मुनाफा कमा जाते हैं।
फतेहपुर सीकरी कस्बा के साथ नगला जन्नू, जौताना, जहानपुर, मई बुजुर्ग, सौनौटी और सीकरी दो हिस्सा की गलियों में दरी बुनाई का काम कुटीर उद्योग के रूप में होता है। यहां यह रोजगार का मुख्य साधन है। पुराने कपड़ों की चिंदी और धागे से यहां दरी बुनी जाती है। कोरोना काल में पिछले वर्ष दरी बुनाई का काम काफी प्रभावित हुआ था। इस वर्ष कोरोना का असर कम है। बुनकर, कारोबारियों के यहां से दरी बुनाई को सूत व कतरन लेकर आते हैं और अपने घरों पर बुनाई का काम करते हैं। नगला जन्नू निवासी बुनकर औसाफ ने बताया कि बुनाई के काम के हिसाब से रेट अलग-अलग होते हैं। 25 से 35 रुपये प्रति मीटर बुनाई के रेट तय हैं। दिनभर में छह से सात मीटर बुनाई का काम हो पाता है। एक बुनकर नौ से 10 घंटे तक काम करने के बाद बामुश्किल 150 से 200 रुपये कमा पाता है। बारिश के सीजन में काम कम मिलता है।
कम कर दी मजदूरी
फतेहपुर सीकरी के पूर्व चेयरमैन हाजी बदरुद्दीन ने बताया कि पहले की अपेक्षा अब बुनकरों और कारीगरों को मजदूरी कम मिल रही है। बुनाई के रेट कम कर दिए गए हैं। महिला कारीगरों की स्थिति अधिक खराब है। पहले उन्हें कपड़ा कटाई के आठ रुपये प्रति किग्रा से मजदूरी मिलती थी, इसे घटाकर छह रुपये कर दिया गया है। व्यापारी लाक डाउन में नुकसान होने का हवाला देते हैं।
कारोबार की स्थिति
-फतेहपुर सीकरी में 35 हजार से अधिक बुनकर हैं।
-पानीपत, भदोही, वाराणसी आदि शहरों के व्यापारी यहां आर्डर देकर दरी बुनवाते हैं।
-90 फीसद उत्पादों का होता है निर्यात। फ्रांस व जर्मनी में है अधिक मांग।
-90 फीसद से अधिक बुनकर मजदूरी पर काम करते हैं।
यह सुविधाएं मिलें
-प्रत्येक बुनकर का पंजीकरण कर कार्ड बनाया जाए।
-कार्डधारकों को बैंक से ऋण की सुविधा मिले।
-कुटीर उद्योग के रूप में दरी उद्योग को विकसित किया जाए।
-फतेहपुर सीकरी में बुनकरों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए जगह मिले।
-ताज महोत्सव जैसे आयोजनों में बुनकरों को स्टाल दी जाएं।
आज लखनऊ में होगा सम्मान
टैक्सटाइल इंस्पेक्टर मो. हारुन कुरैशी ने बताया कि अलीगढ़ स्थित परिक्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत आगरा आता है। हथकरघा दिवस पर शनिवार को लखनऊ में कार्यक्रम हो रहा है। फतेहपुर सीकरी से भी कुछ बुनकरों का चयन किया गया है, जिन्हें सम्मानित किया जाएगा।