चंबल के उफान में फंसी परीक्षार्थी को लेने भेजी मोटर बोट

भटपुरा की छात्रा के फोन पर भावुक हुए एसडीएम बाह अब्दुल बासित ने तत्काल भेजी मदद

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 06:20 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 06:20 AM (IST)
चंबल के उफान में फंसी परीक्षार्थी को लेने भेजी मोटर बोट
चंबल के उफान में फंसी परीक्षार्थी को लेने भेजी मोटर बोट

जागरण टीम, आगरा। सर, मेरा पूरा गांव चंबल नदी में आए उफान के कारण पानी से घिर गया है। संपर्क मार्ग में आठ फीट पानी है। बुधवार को मेरी परीक्षा है। मुझे परीक्षा देनी है। कृपया यहां से निकलवा दीजिए। यह सुन भावुक हुए एसडीएम बाह अब्दुल बासित ने एक परीक्षार्थी के लिए मोटर बोट भेज दी। भरोसा दिया कि वह परीक्षा जरूर दे सकेगी।

बाह के भटपुरा निवासी महेश यादव की बेटी प्रभा यादव भदावर डिग्री कालेज में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा हैं। बुधवार को उनकी अंग्रेजी की परीक्षा है। मंगलवार को सुबह से ही चंबल नदी में आए उफान से उनका गांव पानी में घिर गया। सभी स्वजन चिंतित थे लेकिन नदी का उफान भी प्रभा के इरादे को डिगा न सका। दोपहर दो बजे उसने एसडीएम को फोन कर अपना परिचय दिया। वहां से निकलने की इच्छा जताई। इसके 20 मिनट बाद ही उसके दरवाजे पर प्रशासन की मोटर बोट पहुंच गई। प्रभा अपने छोटे भाई मधुसूदन यादव उर्फ गोली के साथ पांच किलोमीटर दूर खेड़ा राठौर तक पहुंची। यहां से बाइक से बाह चली गई। एसडीएम ने बताया कि पढ़ाई के प्रति बच्ची का जुनून काबिले तारीफ है। नन्हे घड़ियाल और मगरमच्छ पर संकट

जागरण टीम, आगरा। चंबल नदी में आए उफान से नन्हे घड़ियाल, मगरमच्छ समेत अन्य जलीय जीवों का जीवन संकट में पड़ गया है। नदी का जलस्तर तेज होने से शिशुओं की मौत हो जाती है। इस साल चंबल सेंक्चुरी में करीब तीन हजार नन्हे घड़ियालों का जन्म हुआ है। पिछले वर्ष इनकी संख्या दो हजार थी। बाह के रेंजर आरके सिंह राठौर का कहना है कि पानी में गंदगी और मिट्टी आ जाने से शिशु अंधे हो जाते हैं। वे अपना बचाव नहीं कर पाते। वहीं कई शिशु नदी किनारे बीहड़ तक पहुंच जाते हैं। इनके बचने की संभावना रहती है। 1996 से सूखी उटंगन नदी में आया पानी

जागरण टीम, आगरा। खेरागढ़ इलाके में वर्ष 1996 से सूखी उटंगन नदी में इस बार पानी आ गया है। राजस्थान के आंगई बांध से पार्वती नदी में पानी छोड़े जाने के बाद सोमवार रात पानी सैंया क्षेत्र के दनकसा में पहुंच गया। यहां से उटंगन नदी में भी पानी पहुंच गया। इससे क्षेत्रीय किसान खुश हैं। उनका कहना है कि वे उटंगन नदी से अपनी फसलों की सिंचाई कर सकेंगे। वहीं बाड़ी, राजस्थान से शुरू हुई पार्वती नदी, सैंया के दनकसा होते हुए यमुना में पहुंचती है, जबकि उटंगन नदी जयपुर से शुरू होकर खेरागढ़ के निमेना, कोलुआ होते हुए दनकसा में पहुंचती है। एसडीएम खेरागढ़ संगीता राघव का कहना है कि खतरे वाली कोई बात नहीं है। राजस्व टीमों को सतर्क कर दिया गया है। यमुना भी उफान पर, बटेश्वर घाट पर सीढि़यां डूबीं

जागरण टीम, आगरा। यमुना नदी ने भी प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है। बटेश्वर में यमुना नदी उफान पर है। मंदिर श्रंखला के घाटों की सीढि़यां पानी में डूब गई हैं। रानीघाट पर मंगलवार को तीन सीढियां पानी में डूब गई। नदी का पानी भरतार, कल्याणपुर, स्याइच, भौर, कलींजर, रामपुर चंद्रसेनी आदि गांवों तक पहुंच गया है।

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