Migratory Birds in Agra: गार्गेनी ने आगरा में ढूंढा नया ठिकाना, इस वेटलैंड पर डाल रखा है डेरा

Migratory Birds in Agra मार्च के अंत तक कई प्रवासी पक्षियों ने यह वेटलैंड छोड दिया था। अप्रैल के दूसरे सप्ताह में गार्गेनी नाब-बिल्ड डक लेशर विशलिंग डक स्पाॅट विल्ड डक काॅमन कूट बड़ी संख्या में ग्वालियर रोड स्थित सेवला वेटलैंड पर मौजूद हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 04:21 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 04:21 PM (IST)
Migratory Birds in Agra: गार्गेनी ने आगरा में ढूंढा नया ठिकाना, इस वेटलैंड पर डाल रखा है डेरा
गार्गेनी पक्षी बड़ी संख्या में ग्वालियर रोड स्थित सेवला वेटलैंड पर मौजूद हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। जैसे- जैसे गर्मी का पारा चढता है वैसे- वैसे प्रवासी पक्षियों की अपने निवास स्थानों अथवा प्रजनन स्थलों की ओर वापसी शुरू हो जाती है। मार्च के महिने के अंत तक लगभग 75 प्रतिशत प्रवासी पक्षियों की वापसी हो जाती है। लेकिन इस बार कुछ प्रवासी पक्षियों की उपस्थिती अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह तक बनी हुई है। आगरा शहर की सीमा पर ग्वालियर रोड पर स्थित सेवला वेटलैंड पर अप्रैल के महीने में भी प्रवासी पक्षियों का डेरा जमा हुआ है। हालांकि मार्च के अंत तक कई प्रवासी पक्षियों ने यह वेटलैंड छोड दिया था। अप्रैल के दूसरे सप्ताह में गार्गेनी, नाब-बिल्ड डक, लेशर विशलिंग डक, स्पाॅट विल्ड डक, काॅमन कूट बड़ी संख्या में ग्वालियर रोड स्थित सेवला वेटलैंड पर मौजूद हैं।

पहली बार दिखा गार्गेनी सेवला वेटलैंड पर

बायोडायवर्सिट रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा इस वेटलैंड पर पहली बार गार्गेनी बतख को रिकार्ड किया गया है। 8 अप्रैल से गार्गेनी के 8 नर व 8 मादा को रिकार्ड किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त अभी इस वेटलैंड पर प्रवासी पक्षियों में स्पाॅटविल्ड डक, लेशर विशलिंग डक, नोब बिल्ड डक, काॅमन स्नाइप, काॅमन कूट, ब्लैक विग्ड स्टिल्ट, लिटिल स्टिंट, टैमिनिक स्टिंट, सिट्रिन वेगटेल,बुड सेन्डपाइपर, काॅमन सेन्डपाइपर, रेड शैंक आदि प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या मे मौजूद हैं।

प्रवासी पक्षियों की पसंद बन रहा वेटलैंड

ग्वालियर रोड स्थित इस वेटलैंड पर प्रवासी व आवासीय पक्षियों की लगभग 90 से अधिक प्रजातियों को 2017 से अभी तक रिकार्ड किया जा चुका है। इस वर्ष सबसे अधिक संख्या नोर्दन शोवलर रिकार्ड किये गए हैं। इस वर्ष 2021 में 128 नर व मादा नोर्दन शोवलर 54 दिन तक सेवला वेटलैंड पर रूककर गये हैं। इस वेटलैंड पर बड़ी संख्या में वाटर बर्ड आते हैं जिनमें मुख्यत: नोर्दन शोवलर, काॅमन टील, काम्ब डक, लेशर विशलिंग डक, पेन्टेड स्टार्क, स्पाॅटविल्ड डक, ब्लैक हेडेड आईबिश, पर्पल स्वैम्प हैन, काॅमन सेन्डपाइपर, बुड सेन्डपाइपर, काॅमन कूट, काॅमन स्नाइप, टैमिनिक स्टिंट, लिटिल स्टिंट, सिट्रिन वेगटेल , यलो वेगटेल, व्हाइट ब्राउडेड वेगटेल, व्हाइट वेगटेल, काॅमन रेडशेंक, रूफ, ब्लैक विग्ड स्टिल्ट, ग्रेटर कोर्मोरेन्ट , ग्रे हैरोन , पर्पल हैरोन, नाइट हैरोन बड़ी संख्या में आते हैं।

गार्गेनी यूरोप से भारत आता है सर्दियो के प्रवास पर

जैव विविधता का अध्ययन करने वाली संस्था बीआरडीएस के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह के अनुसार गार्गेनी को एनाटिडे परिवार मे वर्गीकृत किया गया है। इसका वैज्ञानिक नाम स्पैटुला क्वेरक्वेडुला है। गार्गेनी का संरक्षण अफ्रीकी-यूरेशियन माइग्रेटरी वॉटरबर्ड्स (AEWA) समझौता के अंतर्गत निहित है। यह एक छोटे आकार का बतख है। यह यूरोप व पलेर्क्टिक क्षेत्र में प्रजनन करता है लेकिन दक्षिणी अफ्रीका, भारत व बांग्लादेश में सर्दियों के प्रवास पर पहुंचता है। कम गहराई के वनस्पति युक्त वेटलैंड इसकी पंसद के हेविटाट होते हैं। नर गार्गेनी की पहचान आसान होती है। इसके गहरे भूरे रंग के सिर पर मोटी सफेद रंग की भौ होती है। मादा गार्गेनी कुछ कुछ काॅमन टील की तरह दिखती है लेकिन सिर के रंग का पैटर्न अलग होता है। यह भोजन डबलिंग ( स्कीमिंग) प्रकिया द्वारा करते हैं।

वेटलैंड्स के सूखने और अनियमित तापमान का असर है प्रवासी जलीय पक्षियों पर

पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह के अनुसार इस वर्ष प्रवासी पक्षियों के वितरण में परिवर्तन रिकार्ड किया गया है। बड़े वेटलैंड्स से छोटे छोटे वेटलैंड कुछ प्रवासी पक्षियों की पसंद बने हैं। वेटलैंड्स पर इनकी जनसंख्या और ठहरने के समय मे अन्य वर्षो की तुलना में परिवर्तन रिकार्ड किया गया है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और सूखते व सिकुड़ते वेटलैंड्स के परिणाम स्वरूप भोजन की उपलब्धता की कमी से गार्गेनी व अन्य जलीय पक्षियो को छोटे छोटे जलयुक्त वेटलैंड्स को अपना ठिकाना बनाना पड़ रहा है। इन वेटलैंड पर उन्हे आसानी से भोजन उपलब्ध हो रहा है। प्रवासी पक्षियो का वापसी माइग्रेशन तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण अप्रैल माह के अंत तक जा सकता है। प्रवासी पक्षी वापसी के समय अपने माइग्रेशन रूट पर पड़ने वाले वेटलैंड्स पर ठहरकर आगे बढ़ते हैं क्योंकि लंबी दूरी तय करने के लिए उन्हे अधिक ऊर्जा की आवश्यक पडती है इसके लिए उन्हे अधिक भोजन की आवश्यकता पड़ती है।

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