Sharad Purnima 2020: आगरा के गुरुद्वारा में टूटेगी शरद पूर्णिमा की परंपरा, नहीं होगा दमा की दवा का वितरण

Sharad Purnima 2020 30 अक्टूबर को है शरद पूर्णिमा। मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि इस बार महामारी के चलते आगरा में धार्मिक स्थान नहीं खोले गए हैं। इसी कारण शरद पूर्णिमा पर दशकों से निभाइ जा रही परंपरा को भी पूरा नहीं किया जाएगा।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 05:13 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 05:13 PM (IST)
Sharad Purnima 2020: आगरा के गुरुद्वारा में टूटेगी शरद पूर्णिमा की परंपरा, नहीं होगा दमा की दवा का वितरण
स बार महामारी के चलते आगरा में धार्मिक स्थान नहीं खोले गए हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। शरद पूर्णिमा पर इस बार आगरा के एतिहासिक गुरुद्वारा गुरु के ताल पर दमा की दवा का वितरण नहीं किया जाएगा। कोरोना महामारी की वज़ह से जारी सरकारी गाइड लाइन का पालन करते हुए दवा वितरण न करने का निर्णय गुरुद्वारा प्रबंधन की ओर से लिया गया है। मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि इस बार महामारी के चलते आगरा में धार्मिक स्थान नहीं खोले गए हैं। इसी कारण शरद पूर्णिमा पर दशकों से निभाइ जा रही परंपरा को भी पूरा नहीं किया जाएगा। इस वर्ष शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर को है। हांलाकि इससे दमा एवं श्वांस संबंधि रोगियों को निराशा होगी लेकिन संक्रमण के फैलाव को देखते हुए ये निर्णय लिया गया है। बता दें कि गुरुद्वारा गुरु का ताल पर हर वर्ष खीर में मिलाकर आयुर्वेदिक दवा दी जाती है। दवा का सेवन करने वालाें का मानना है कि इसके सेवन से उन्हें काफी राहत मिलती है। इस दवा का असर ही है कि शरद पूर्णिमा पर दवा लेने वालों की लंबी लाइन लगी रहती है।  

ये है परंपरा

गुरुद्वारा गुरु का ताल में संत बाबा मोनी सिंह ने इस परंपरा को शुरू किया था। 1971 में पहली बार रोगियों को दवा दी गई थी। यह दवा अस्थमा और एलर्जी के रोगियों को दी जाती है। दवा को खीर में मिलाकर दिया जाता है। खीर को गाय के दूध में बनाया जाता है। चावल भी विशेष किस्म के इस्तेमाल किए जाते हैं। खीर एक दो नहीं बल्कि कई क्विंटल दूध में बनती है। मिट्टी के सकोरे में खीर और दवा मिलाकर रोगियों को दी जाती है। संत बाबा प्रीतम सिंह बताते हैं कि दवा खाने का बाद रोगियों को गुरुद्वारे में ही एक-दो किलोमीटर नंगे पैर चलने को कहा जाता है। रोगी का शरीर देखकर ही दवा की मात्रा निर्धारित की जाती है। दवा खाने के बाद कई परहेज हैं जैसे तेल, खट्टा, वसा की चीजों से दूरी रखनी होती है। दवा खाने के बाद दूसरे दिन सुबह रोगियों को मूली की सब्जी खिलाई जाती है। इस दवा का सेवन करने के लिए देश के कई हिस्सों से रोगी यहां आते हैं। गुरुद्वारे में सभी के रुकने का प्रबंध भी किया जाता है।

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