न्‍यायालय में लटके हैं आंबेडकर विवि के कई पुराने मामले, खत्म कराने को कुलपति को लिखा गया था पत्र

आंबेडकर विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने की थी जल्द कार्यवाही की मांग। सिर्फ दो कालेजों ने ही उपलब्ध कराया है रिकार्ड नहीं हुआ सत्यापन। बाकी के चार मामलों में कालेजों ने रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराए हैं। दैनिक जागरण ने उठाया था मामला।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 12:43 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 12:43 PM (IST)
न्‍यायालय में लटके हैं आंबेडकर विवि के कई पुराने मामले, खत्म कराने को कुलपति को लिखा गया था पत्र
बीएड घोटाले से संबंधित आंबेडकर विवि के कई मामले कोर्ट में लंबित हैं।

आगरा, प्रभजोत कौर। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के सत्र 2003 बीएड मामले में विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने भी पिछले साल अक्टूबर में कुलपति को पत्र लिख जल्द से जल्द कार्यवाही की मांग की थी, जिससे न्यायालयों में चल रहे मुकदमों को खत्म कराया जा सके। इसके बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।सिर्फ दो कालेजों ने ही रिकार्ड उपलब्ध कराए हैं।

सत्र 2003 के बीएड के पूर्व छात्र अमित कुमार द्वारा राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की अनुमति मांगने की खबर दैनिक जागरण में प्रकाशित होने का बाद विश्वविद्यालय प्रशासन हरकत में आया है। दैनिक जागरण में ही 2003 की डिग्री न मिलने पर दिल्ली, इलाहाबाद और आगरा के न्यायालयों में चल रहे मुकदमों की जानकारी भी थी। इसके बाद विश्वविद्यालय द्वारा संबंधित कालेजों को पत्र भेजे गए हैं। कालेजों से रिकार्ड मांगे गए हैं। हालांकि, इस संबंध में पिछले साल ही विश्वविद्यालय के अधिवक्ता डा. अरुण कुमार दीक्षित द्वारा कुलपति को पत्र लिखा गया था। इस पत्र में डा. दीक्षित ने न्यायालयों में चल रहे मुकदमों को खत्म कराने के लिए विश्वविद्यालय को जल्द कार्यवाही करने की मांग की थी। इसी पत्र में उन्होंने फोरेसिंक जांच खत्म होने की जानकारी विश्वविद्यालय को मिलने का बात का भी जिक्र करते हुए संबंधित कालेजों से रिकार्ड लेने की बात लिखी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय में 2003 बीएड सत्र की पूर्व छात्रा सुनीता और आगरा की स्थायी लोक अदालत में छात्र नीरज द्वारा डाले गए मुकदमों के बाद संबंधित कालेजों ने रिकार्ड विश्वविद्यालय में जमा करा दिए थे, पर अभी तक उनका सत्यापन चार्टों से नहीं किया गया है। बाकी के चार मामलों में कालेजों ने रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराए हैं।

कई कुलसचिवों को किया जा चुका है तलब

छात्रा सुनीता वाले मामले में तत्कालीन कुलसचिव केएन सिंह को दिल्ली उच्च न्यायालय में भी तलब किया गया था। यह एकमात्र मामला नहीं है। पिछले दिनों आगरा स्थायी लोक अदालत में एक छात्र को डिग्री न देने पर कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक को भी तलब किया गया था।

मेरे द्वारा विश्वविद्यालय और कुलपति को कई बार न्यायालयों में चल रहे मुकदमों की जानकारी दी गई है। सालों से चल रहे मामले रिकार्ड न मिलने के कारण अटके हुए हैं।

- डा. अरुण कुमार दीक्षित, अधिवक्ता, डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय 

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