खारे पानी ने छीन ली मिठास, आम था कभी खास

मालफार्मेशन रोग ने भी आम को पहुंचाया नुकसान जिले में घट गई पैदावार गिने चुने बचे हैं बगीचे

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Mar 2021 11:30 PM (IST) Updated:Fri, 26 Mar 2021 11:39 PM (IST)
खारे पानी ने छीन ली मिठास, आम था कभी खास
खारे पानी ने छीन ली मिठास, आम था कभी खास

आगरा, (अम्बुज उपाध्याय)। आम का नाम आते ही मिठास का अहसास होने लगता है। जिले के कई क्षेत्रों में आम काफी खास हुआ करता था, 200 पेड़ों से अधिक के जगह-जगह बाग थे। खारे पानी और इसके कारण पनपने वाले मालफार्मेशन रोग ने पेड़ों को नुकसान पहुंचाया तो आम से मिठास छीन ली है। अब कुछ क्षेत्रो में गिने चुने पेड़ बचे हैं, जिनकी आपूर्ति होती है। वहीं भरपूर फसल के लिए बाहर की आवक पर निर्भर रहना पड़ता है।

बिचपुरी, बरहन, इटौरा, पिनाहट, जैतपुर, बाह सहित कई दूसरे क्षेत्र में आम के बाग हुआ करते थे। किसी भी बाग में 200-300 पेड़ से कम नहीं थे, लेकिन अब बागों में गिने चुने ही पेड़ बचे हैं। बरहन के किसान महेंद्र बताते हैं कि क्षेत्र में 20 बीघा से अधिक में बाग था, जिसमें 50 आम के पेड़ बचे हैं। पहले क्षेत्र में मीठे पानी के बंबा से भरपूर पानी मिलता था, जो अब नहीं मिल पा रहा है। वहीं बौर में रोग लगने से फसल प्रभावित हो जाती है। बरारा के किसान रामबाबू सिंह बताते हैं कि पहले 300 पेड़ों से अधिक का बाग था, लेकिन अब आम के 150 से कम पेड़ बचे हैं। आम्रपाली सहित दूसरी नई किस्म भी लगाई गई हैं, जो जल्दी फलदार हो जाती है। खारा पानी पेड़ की ग्रोथ रोकता है, तो उसकी जड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है। किसान पुष्पेंद्र बताते हैं कि इटौरा में बाग आज भी है, लेकिन आस-पास के पेड़ प्रभावित हुए हैं।

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पहले आगरा में आम के बागों की भरमार थी, लेकिन खारा पानी, रोग ने काफी नुकसान पहुंचाया है। खारा पानी के कारण बौर में मालफार्मेशन रोग पनपता है। जड़ों में खारा पानी होने के कारण पोषक तत्व ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाता है। इससे रोग की शुरुआत होती है।

डा.आरएस चौहान, वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र

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यहां से होती है आम की आवक

जिले में आम का उत्पादन पर्याप्त नहीं होने के कारण दूसरे राज्य और जिलों से आवक होती है। अप्रैल में आंध्र प्रदेश से आने वाला आम सीजन की शुरुआत करता है, जिसको सफेदा बोला जाता है। मई के अंतिम सप्ताह से उप्र के मलिहाबाद, सीतापुर से दशहरी और स्थानीय दूसरी प्रजाति आती हैं। जून में बुलंदशहर, मेरठ से आम आता है। अगस्त में सीजन का समापन सहारनपुर की खेप से होता है।

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