आगरा में माफिया का खेल, यूरिया की जमकर हो रही कालाबाजारी

आलू गेहूं सरसों की फसल में किसान लगा रहे यूरिया। जिले में 72 हजार हेक्टेयर आलू सरसों का 60 हजार हेक्टेयर और गेहूं का 1.25 हजार हेक्टेयर गेहूं का रकवा है। आलू और सरसों की बोवाई हुए लंबा समय बीत गया है।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 02:29 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 02:29 PM (IST)
आगरा में माफिया का खेल, यूरिया की जमकर हो रही कालाबाजारी
आलू, गेहूं, सरसों की फसल में किसान लगा रहे यूरिया।

आगरा, जागरण संवाददाता। जिले में यूरिया के लिए किसान भटक रहे हैं, लेकिन माफिया खेल कर रहे हैं। सहकारी समिति पर उपलब्धता नहीं है। जहां है वहां सचिव मनमाना रवैया अपनाए हुए हैं। वहीं निजी विक्रेता तो जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं। किसानों को 50 से लेकर 150 रुपये तक अधिक मूल्य पर यूरिया खरीदना पड़ रहा है, जिससे खेती की लागत भी बढ़ रही है।

जिले में 72 हजार हेक्टेयर आलू, सरसों का 60 हजार हेक्टेयर और गेहूं का 1.25 हजार हेक्टेयर गेहूं का रकवा है। आलू और सरसों की बोवाई हुए लंबा समय बीत गया है। सरसों की फसल में पानी लगाया जा रहा है, जिससे पहले यूरिया की आवश्यकता है, तो आलू एवं गेहूं की फसल में भी यूरिया लगाया जा रहा है। आवश्यकता भरपूर है, लेकिन किसानों को उपलब्धता नहीं हो पा रही है। सहकारी समितियों पर उपलब्धता नहीं है। खेरागढ़ में समिति पर सचिव मनमाने तरीके से वितरण कर रहे थे, जिसके बाद हंगामा हुआ। वहीं निजी विक्रेता 266.50 रुपये का कट्टा 320 से 400 रुपये और उससे भी अधिक का बेच रहे हैं। किसानों में आक्रोश है, लेकिन फसलों को नुकसान न हो इसलिए मजबूरन मनमानी झेली जा रही है। वहीं व्यवस्था पर नियंत्रण करने वालों ने आंखें मूंद रखी हैं।

यूरिया की किल्लत हो रही है। इससे पहले डीएपी भी नहीं मिल पा रही थी। ऊंचे दामों पर यूरिया खरीदने को मजबूर है, लेकिन कोई इस कालाबाजारी पर रोक नहीं लगा रहा है।

हरिओम, बाजिदपुर

यूरिया की जमकर कालाबाजारी हो रही है। निजी विक्रेता 370 और 400 रुपये तक कट्टा बेच रहे हैं, इस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। किसानों को बड़ा नुकसान है।

भोला परमार, डांडा

डीएपी महंगी खरीद कर लगाई है, जबकि यूरिया भी सरकारी मूल्य से अधिक पर बिक रहा है। फसलों की आवश्यकता अनुसार अगर पोषण नहीं देंगे तो उनको नुकसान होगा। इसलिए महंगा खरीद रहे हैं।

विश्वनाथ प्रताप सिंह, धानीना

320 रुपये और उससे भी अधिक का यूरिया का कट्टा मिल रहा है। लागत में ही सारा मूल्य चला जाएगा तो किसानों को कैसे लाभ होगा। सरकार को इस पर नकेल कसनी चाहिए।

कैलाश चंद्र, लादूखेड़ा

निजी क्षेत्र में बफर में यूरिया का उपलब्धता नहीं है। निजी विक्रेताओं पर साढे़ पांच हजार मीट्रिक टन उपलब्धता सप्ताहभर पहले कराई गई थी। निजी क्षेत्र की तीन रैक पांच दिसंबर के बाद लगातार लगेंगी। वहीं सहकारी समितियों पर 1700 मीट्रिक टन बुधवार को यूरिया भिजवाया गया है, जबकि बफर में 3500 मीट्रिक टन की उपलब्धता है। अगर कालाबाजारी की जाती है तो कार्रवाई की जाएगी।

विनोद कुमार, जिला कृषि अधिकारी 

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