चंद्रग्रहण 2020: ग्रहणकाल के इन बातों का विशेष ध्‍यान रखना बेहद जरूरी, जानें क्‍या कहता है ज्‍योतिष

Lunar eclipse june 2020 ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक शक्तियां प्रबल होती हैं जिसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ सकता है।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 03:02 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 01:04 AM (IST)
चंद्रग्रहण 2020: ग्रहणकाल के इन बातों का विशेष ध्‍यान रखना बेहद जरूरी, जानें क्‍या कहता है ज्‍योतिष
चंद्रग्रहण 2020: ग्रहणकाल के इन बातों का विशेष ध्‍यान रखना बेहद जरूरी, जानें क्‍या कहता है ज्‍योतिष

आगरा, जागरण संवाददाता। पांच जून को 2020 का दूसरा चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। जानकारों के अनुसार चंद्रग्रहण एक खगोलिय घटना है। जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं तो हम पृथ्वी की स्थिति के आधार पर सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण देखते हैं। चंद्र ग्रहण उस वक्त लगता है जब पूरा चांद निकला हुआ हो और पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाए। इस तरह सूर्य की किरणें सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती हैं। यह तभी होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा दोनों के बीच आ जाए।

ग्रहणकाल के इस दौरान कई बातों का विशेष ध्‍यान रखना बेहद जरूरी होता है। ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक शक्तियां प्रबल होती हैं, जिसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ सकता है। ग्रहण के पश्चात काले सबूत उड़द, बाजरा, जौ, ज्वार व पैसे किसी सफाई कर्मचारी को दे दें।

उपछाया चंद्रग्रहण है ये

डॉ शोनू बताती हैं कि ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 5 जून को है। इस दिन लगने वाला चंद्रग्रहण 3 घंटे और 18 मिनट का होगा। यह चंद्रग्रहण 5 जून को रात को 11.15 शुरू होगा और 6 जून को सुबह के 12.54 बजे तक अपने अधिकतम ग्रहण पर पहुंचेगा। उपछाया चंद्र ग्रहण 6 जून सुबह 2.34 पर खत्म हो जाएगा। एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के लोग इस ग्रहण को देख सकते हैं। हालांकि, उपछाया चंद्रग्रहण होने के कारण लोगों के बीच सामान्य चांद और ग्रहण वाले चांद के बीच अंतर करना मुश्किल होगा।

इस ग्रहण को पूरे भारत में देखा जा सकेगा लेकिन इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा कहीं से कटेगा नहीं यानी चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन नहीं आएगा। यह अपने पूर्ण आकार में आसमान में चलते नजर आएंगे। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा की छवि मलिन हो जाएगी। यानी चांद कुछ मटमैला सा दिखेगा। इसकी वजह यह है कि यह वास्तविक चंद्रग्रहण नहीं है यह एक उपछाया चंद्रग्रहण है। हालांकि उपछाया चंद्रग्रहण होने के कारण इसका सूतक काल मान्‍य नहीं होगा। वैसे चंद्रग्रहण से नौ घंटे पहले सूतक लगते हैं इसलिए यदि सूतक का पालन करना है तो इस पांच जून को दोपहर 2:15 बजे से सूतक प्रारंभ होंगे।

​​​​​ये बरतें सावधानियां

- ग्रहण के दौरान कोई नया काम न शुरू करें।

- ग्रहण शुरू होने से पहले खाने मे तुलसी जी के पत्ते डाल दें एवं ग्रहण के समय तुलसी जी को स्पर्श न करें।

- ग्रहण के दौरान न खाना बनाएं और न ही खाएं।

- गर्भवती स्त्रियां तेज धारदार औजारों का इस्तेमाल न करें।

- ग्रहण का समय धार्मिक पुस्तकें पढ़े एवं हवन और मंत्रों का जाप करें।

- ग्रहण के समय देवी देवताओं की मूर्ति एवं तस्वीरों को नही छूना चाहिए।

- ग्रहण के दौरान शारीरिक संबंध नही बनाने चाहिए।

- ग्रहण की समाप्ति के बाद पूरे घर मे गंगा जल का छिड़काव करें।

- चंद्र देव का पूजन करें एवं ध्यान लगाने की कोशिश करें।

- ग्रहण समाप्ति के अगले दिन ज़रूरतमंदों को आवश्यक वस्तुओं का दान करें।

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