Land Scam: लखनऊ एक्सप्रेस वे का मामला, इसी सप्ताह जमीन की जांच को आगरा आ सकती है ईओडब्ल्यू की टीम

तहसील सदर और फतेहाबाद की 350 हेक्टेअर जमीन की चल रही है जांच। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में हुई जमीन की खरीद। चहेतों को लाभ दिलाने के लिए एक साल में दो बार की गई सर्किल रेट में बढ़ोत्‍तरी। बंजर जमीन का भी कर दिया गया सौदा।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 10:33 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 10:33 AM (IST)
Land Scam: लखनऊ एक्सप्रेस वे का मामला, इसी सप्ताह जमीन की जांच को आगरा आ सकती है ईओडब्ल्यू की टीम
लखनऊ एक्‍सप्रेस वे की जमीन खरीद घोटाले की जांच को टीम आगरा आने वाली है।

आगरा, जागरण संवाददाता। आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) कानपुर की टीम लखनऊ एक्सप्रेस वे की जमीन खरीद के घोटाले की जांच के लिए इसी सप्ताह आ सकती है। टीम ने डीएम आगरा से जमीन खरीद से संबंधित दस्तावेज मांगे थे। सपा शासनकाल में तहसील सदर और फतेहाबाद की 350 हेक्टेअर जमीन की खरीद हुई थी। एक साल में दो बार सर्किल रेट में बढ़ोतरी की गई थी। एक्सप्रेस वे से दूर जमीन का अधिक भुगतान किया गया था। यहां तक बंजर जमीन का भी सौदा किया गया। ईओडब्ल्यू कानपुर के एक अधिकारी ने बताया कि कई दस्तावेज मिल गए हैं। बाकी के दस्तावेज के लिए एडीएम भूमि अध्याप्ति कार्यालय की जांच की जाएगी।

ट्रांस यमुना में एक भवन की 62.56 लाख रुपये की लगी बोली

आवास विकास परिषद कार्यालय सिकंदरा में मंगलवार दोपहर सिकंदरा आवासीय योजना, ट्रांस यमुना आवासीय योजना और फीरोजाबाद की आवासीय योजना के एक-एक भवन की नीलामी की गई। अधीक्षण अभियंता एवी सिंह ने बताया कि सिकंदरा आवासीय योजना में मध्यम आय ग्रुप (एमआइजी) भवन 62.20 लाख रुपये में बिका है। वहीं ट्रांस यमुना आवासीय योजना के एक भवन की बोली 62.56 लाख रुपये और फीरोजाबाद के योजना में एमआइजी भवन तीस लाख लगी है। जल्द कमेटी आगे का निर्णय लेगी।

मिली राहत, खाते में रकम पहुंचनी शुरू

एक माह पूर्व एडीए में भूखंड और दुकान के लिए आवेदन करने वाले लोगों को मंगलवार दोपहर राहत मिली। जब 200 लोगों के बैंक खाता में 50 हजार से लेकर पांच लाख रुपये तक पहुंचे। वहीं 59 आवेदनकर्ताओं के खाते में बुधवार को रकम पहुंच जाएगी। एडीए ने एक माह पूर्व 100 संपत्तियों का विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। बिड सिस्टम से 45 संपत्तियों की बिक्री हो गई। एडीए ने आवेदन के दौरान कुल प्लाट की रकम की दस फीसद धनराशि जमा कराई थी। एडीए के खाते में छह करोड़ रुपये जमा हुए थे। नियमानुसार भूखंड न मिलने पर रकम की तुरंत वापसी होनी चाहिए लेकिन एक माह तक इसे खाते में रखा गया। इसकी शिकायत एडीए उपाध्यक्ष डा. राजेंद्र पैंसिया से की गई थी। उपाध्यक्ष ने वित्त नियंत्रक सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी को 255 लोगों को बकाया रकम लौटाने के आदेश दिए। लोगों को पहली किस्त मंगलवार को मिली।

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