कोरोना काल में नौकरी छूटी, अब कर रहे खुशहाली की खेती
लाकडाउन में घर लौटकर आए हैं फतेहाबाद के कई मजदूर खेती की कमाई ने नहीं होने दिया नौकरी जाने का एहसास
जागरण टीम, आगरा। कोरोना महामारी की दूसरी लहर पहली लहर से ज्यादा प्रभावशाली रहीं। इसने सबसे ज्यादा प्रभावित मजदूर वर्ग को किया। शहर में नौकरी करने पहुंचे लोगों को गांव का रूख करना पड़ा। गांव आकर परिवार के भरण-पोषण के लिए मूंग की खेती कर ली। कोरोना काल में की गई खेती ने नौकरी जाने के एहसास नहीं होने दिया।
गेहूं, सरसों, आलू की फसल लेने के बाद बारिश होने तक बाह तहसील क्षेत्र का 90 फीसदी खेती का रकबा खाली पड़ा रहता है। क्षेत्र का कम पढ़ा लिखा युवा दिल्ली, गुजरात, राजस्थान आदि राज्यों में जाकर नौकरी व मजदूरी करता है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में नौकरी छोड़ अपने घर लौटे और गांव लौटकर मूंग की खेती अपनाई। नहटौली गांव निवासी ब्रजेश विजेंद्र दिल्ली में काम करते है। लाकडाउन के बाद गांव लौटकर 10 बीघा मूंग की खेती की। करीब 20 क्विंटल पैदावार हुई। लागत काटकर दोनों को 50 हजार की बचत हुई। वहीं वैदपुरा के दिनेश, नहटौली के सुरेंद्र आदि ने बताया इस साल पिछली साल की तुलना में कम पैदावार हुई भाव ठीक रहा है। परिदों के घरौंदे उजाड़ रहे ग्रामीण को रोका
जागरण टीम, आगरा। बासौनी थाना क्षेत्र में टीले काट खेत में मिला रहे ग्रामीण को वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंच कर रोका। टीम ने पैमाइश के बाद ही कार्य कराने की हिदायत दी। चंबल सेंक्चुरी क्षेत्र में परिदे पेड़ों परअपने घरौंदे बनाते हैं और जीव जंतु झाड़ियों में अपना आशियाना बनाकर रहते है। रविवार को बासौनी थाना क्षेत्र के पुरा शिवलाल निवासी एक किसान चंबल सेंक्चुरी क्षेत्र में टीले ट्रैक्टर से काटकर अपने खेत में मिला रहा था। इससे जीव-जंतुओं व परिदों के घरौंदे नष्ट होने की सूचना वन विभाग की टीम ने मौके पहुंची। टीम ने किसान को टीला काटने से रोका तो किसाने अपनी जमीन का हवाला दिया। रेंजर आरके सिंह का कहना है कि किसान को पैमाइश कराने की हिदायत दी गई है। पैमाइश के बाद ही पता चल सकेगा जमीन वन विभाग की है या किसान की अभी कार्य बंद करा दिया है।