Festival Season में भी नहीं चमका तांबा, दुकानों पर राह देखते रह गए बर्तन

पूजा के लिए तांबे के बर्तन के कारोबार में आई 30 फीसद कमी। मथुरा जिले में एक समय था कि तांबे के बर्तन का कारोबार काफी फल-फूल रहा था और यहां बड़े पैमाने पर यह कारोबार होता था।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 06:12 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 06:12 PM (IST)
Festival Season में भी नहीं चमका तांबा, दुकानों पर राह देखते रह गए बर्तन
राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और गुजरात सहित अन्य प्रदेशों से भी इसके आर्डर आते थे।

आगरा, जेएनएन। कोई भी मांगलिक कार्य हो या धार्मिक अनुष्ठान, इसमें पूजा के लिए तांबे के पात्र का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि पूजन कार्य के लिए तांबे का बना बर्तन ही शुभ है। इसलिए लोग करवा चाैथ और दीपावली सहित कई खास मौकों पर तांबे के बने बर्तन भी खरीदते हैं। मगर इस बार ऐसा नहीं है। कोरोना ने जहां सभी तरह के व्यापार को प्रभावित किया वहीं त्योहारी सीजन में तांबे की बिक्री के बढ़ते कदमों को भी पीछे खींच लिया। गत वर्ष की अपेक्षा इस बार कारोबार करीब 30 फीसद की कमी आई है।

मथुरा जिले में एक समय था कि तांबे के बर्तन का कारोबार काफी फल-फूल रहा था और यहां बड़े पैमाने पर यह कारोबार होता था। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और गुजरात सहित अन्य प्रदेशों से भी इसके आर्डर आते थे। मगर आधुनिकता की दौड़ और तांबे की बढ़ती महंगाई के चलते इसका स्थान स्टील ने ले लिया और इससे बने बर्तनों का उपयोग केवल पूजा आदि धार्मिक कार्यों में होने लगा। त्योहारी सीजन सहित अन्य खास मौकों पर तांबे से बने गंगासागर, थाली, लोटा और जग सहित अन्य बर्तनों की बिक्री होने लगी। लोग घरों में दैनिक पूजन कार्य सहित धार्मिक अनुष्ठानों में इनका प्रयोग करते हैं। करवा चौथ और दीपावली के त्योहार पर इनकी अच्छी बिक्री होती थी। बर्तन व्यापारी दिनेश ने बताया कि यूं तो शहर सहित जिलेभर में बर्तन के कई छोटे दुकानदार भी हैं लेकिन मुख्य रूप से करीब 55 बड़े दुकानदार हैं। अकेले त्योहारी सीजन में ये करीब 70 से 80 लाख रुपये का कारोबार करते थे। मगर इस बार एक तो महंगाई और दूसरी ओर कोरोना का प्रभाव इस कारोबार पर देखने को मिल रहा है। इस सीजन लोगाें में तांबे के बर्तन खरीदने के प्रति उत्साह नहीं हैं। लोग केवल अधिक आवश्यकता होने पर ही खरीददारी कर रहे हैं। इस सीजन बर्तन का कारोबार 30 फीसद मंदा है। वहीं तांबे के बर्तन कारोबारी अनूप गर्ग का कहना है कि पहले दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र और राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों में इनकी काफी मांग रहती थी। मगर अब अधिकांश हर जगह यह बनने लगे हैं। इसलिए इनकी मांग की कम हो गई है। साथ ही कोरोना काल से तांबा कारोबार को बड़ा झटका लगा है।   

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