शराब माफिया व सिस्टम का 'सिंडिकेट' बना नई चुनौती
अलीगढ़ के बाद आगरा में भी सरकारी दुकानों से बिकती मिली जहरीली शराब
आगरा, (संजय रुस्तगी)। कच्ची शराब, हरियाणा की शराब की तस्करी व नकली शराब रोकने के लिए समय-समय पर प्रयास किए जाते रहे हैं। शराब कारोबारियों का सिंडिकेट तोड़ने के लिए सरकार ने हर दुकान का अलग-अलग ठेका देना शुरू कर दिया है। लेकिन, सरकार के सामने अब जो नई चुनौती सामने आई है, वह है शराब माफिया व सरकारी सिस्टम के सिंडिकेट की। अलीगढ़ की घटना के बाद अब आगरा में भी नकली शराब बेचे जाने का राजफाश हुआ है। इसमें आबकारी विभाग व पुलिस की संलिप्तता सामने आई है।
अलीगढ़ में सौ से अधिक लोगों की मौत के मामले में यह बात सामने आई थी कि जहरीली शराब बनाने वालों ने बिक्री के लिए सरकारी दुकानें ले रखी थीं। 75 दुकानें माफिया व उनके परिचित के नाम मिलीं थीं। आबकारी व पुलिस का उन्हें पूरा प्रश्रय था। आगरा के अछनेरा क्षेत्र में भी सरकारी दुकानों से नकली शराब की बिक्री होने की बात सामने आई है। अब तीन थाना क्षेत्रों में जहरीली शराब से मौत के मामले में भी सरकारी दुकानों से जहरीली शराब की बिक्री की बात सामने आई है। इस माफियागीरी पर अंकुश लगाने का जिम्मा पुलिस व आबकारी विभाग पर है। मगर, वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। इससे उलट इस गड़बड़झाले में इनकी संलिप्तता मिली है। यही नहीं, सस्ती (नकली) शराब को सरकारी दुकानों से बेचे जाने से सरकार को हर माह लाखों रुपये राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार के सामने यह चुनौती है कि इस सिंडिकेट को कैसे तोड़ा जाए।
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क्यूआर व बार कोड का भी निकाला तोड़ :
नकली शराब की रोकथाम के लिए सरकार ने देसी व अंग्रेजी शराब की बोतल पर क्यूआर कोड व बार कोड लगवाने शुरू किए थे। इनसे शराब के बारे में पूरी जानकारी कोड स्कैन करते ही मिल जाती है। माफिया ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। दोनों कोड नकली बनवाए जाने लगे हैं।
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चेकिंग के नाम पर खानापूर्ति
वैसे सैंपलिंग व स्टाक की चेकिंग का नियम है, लेकिन इसके नाम पर खानापूर्ति ही की जाती है। दुकानदार से जानकारी लेकर आफिस में बैठकर चेकिंग कर दी जाती है। जिले के तीन थाना क्षेत्रों की 75 दुकानों पर पुराने स्टाक की बिक्री रुकवा दी गई है। साथ ही, इसके चेकिंग की बात भी कही जा रही है। सही चेकिंग होने पर ही बड़ा मामला खुलकर सामने आ सकता है।
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पुलिस के इकबाल पर भी सवाल
अलीगढ़ में माफिया की 120 करोड़ की संपत्ति चिह्नित की गई, इसे जब्त करने की कार्रवाई की जा रही है। 33 मुकदमे दर्ज किए गए, 86 लोगों की गिरफ्तारी हुई। साथ ही, 17 माफिया घोषित किए गए। इसके बाद भी आगरा में इस सिंडिकेट के बरकरार रहने से पुलिस के इकबाल पर भी सवाल खड़ा हो गया है।