UP Board Exams 2021: दूसरों की तरह यूपी बोर्ड में आसान नहीं है प्रमोशन की राह, रद करना भी आसान नहीं

आंतरिक मूल्यांकन के साप्ताहिक मासिक तिमाही अर्धवार्षिक व प्रीबोर्ड परीक्षा की स्थिति नहीं है ठीक। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में विद्यार्थियों के बंपर पंजीकरण के कारण भी व्यवस्थाएं बनाना होगा मुश्किल। आगरा में यूपी बोर्ड में विद्यार्थियों की संख्या एक लाख 20 हजार से पार होगी।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 09:43 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 09:43 AM (IST)
UP Board Exams 2021: दूसरों की तरह यूपी बोर्ड में आसान नहीं है प्रमोशन की राह, रद करना भी आसान नहीं
यूपी बोर्ड में छात्रों को प्रमोट करने का फैसला ले पाना मुश्किल ही है। प्रतीकात्‍मक फोटो

आगरा, जागरण संवाददाता। लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच जहां केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 10वीं की परीक्षा रद कर चुका है, वहीं 12वीं की परीक्षा टाल दी गई है। उसे देखते हुए उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने आठ मई से प्रस्तावित परीक्षा टाल तो दी, लेकिन बोर्ड चाहकर भी सीबीएसई की तरह हाईस्कूल की परीक्षा रद नहीं कर सकता। ऐसा होने पर उसके लिए विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक जुटाना सबसे मुश्किल काम होगा।

सीबीएसई ने 10वीं की परीक्षा रद करते हुए विद्यार्थियों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर पास होने पर अगली कक्षा में प्रमोट करने का फैसला लिया। इसके लिए बोर्ड ने बाकायदा आंतरिक मूल्यांकन नीति भी निर्धारित की, ताकि विद्यार्थियों के अंकों में मनमानी न हो और पूरी पारदर्शिता बरती जा सके। लेकिन यूपी बोर्ड के लिए विद्यार्थियों के कक्षा नौवीं के वार्षिक व हाईस्कूल के वीकली, मंथली, तिमाही, अर्धवार्षिक व प्री-बोर्ड परीक्षा के अंक जुटाना सबसे मुश्किल होगा क्योंकि तमाम विद्यालयों में न साप्ताहिक टेस्ट होता है, न मासिक, न तिमाही और न अर्धवार्षिक। हालांकि कुछ विद्यालयों ने प्री-बोर्ड तो करा लिया, लेकिन कापियों का मूल्यांकन कई विद्यालयों में अब तक नहीं हो पाया। यूपी बोर्ड के विद्यालयों में वित्तविहीन की संख्या ज्यादा है, ऐसे में बोर्ड स्तर से मूल्यांकन नीति अमल में लाना किसी भी तरह आसान नहीं होगा। हालांकि शासन और बोर्ड के अधिकारी इस तरह की संभावना पर गंभीरता से विचार जरूर कर रहे हैं कि कम से कम हाईस्कूल के विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाए, जिससे सिर्फ इंटरमीडिएट की परीक्षा कराने की जिम्मेदारी ही बोर्ड पर आए।

विद्यार्थी संख्या बनेगी परेशानी

सीबीएसई 10वीं में जहां बमुश्किल 14 हजार विद्यार्थी बोर्ड परीक्षा में बैठते, वहीं सीआइएससीई 10वीं में तीन से चार हजार। वहीं यूपी बोर्ड में हाईस्कूल में करीब 63 हजार जबकि हाईस्कूल इंटर मिलाकर विद्यार्थियों की संख्या एक लाख 20 हजार से पार होगी। यह सिर्फ जिले की स्थिति है। प्रदेश स्तर पर यह संख्या और बड़ी होगी। ऐसे में सभी विद्यार्थियों के विद्यालयों से अंक जुटाना, उन पर फार्मूला लगाना और विद्यार्थियों को प्रमोट करना इतना आसान भी नहीं होगा, यही कारण है कि अब तक बोर्ड स्तर से हाईस्कूल परीक्षा रद करने जैसी कोई घोषणा नहीं की गई है।

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