सतकुइयां से पहुंचाते थे बागों में पानी
पहली बार सतकुइयां में संरक्षण करा रहा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मुगलकालीन स्मारक में बने हैं सात कुएं रहट से उठाया जाता था पानी।
आगरा, जागरण संवाददाता । मुगल काल में सतकुइयां से यमुना का पानी लिफ्ट कर जल प्रणाली के माध्यम से रामबाग तक भेजा जाता था। यहां वाटर लिफ्टिग सिस्टम लगा था। उपेक्षा व अनदेखी के चलते वाटर लिफ्टिग सिस्टम के अब अवशेष ही बचे हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा सतकुइयां में संरक्षण कार्य कराकर इसे संरक्षित किया जा रहा है।
आगरा में मुगल काल में यमुना किनारे बागों और स्मारकों का निर्माण हुआ था। मुगल शहंशाह बाबर द्वारा आगरा में बनवाए गए रामबाग की उत्तर दिशा में जहांगीर के दरबारी बुलंद खां ख्वाजासरा ने बाग बनवाया था। यह उसके नाम पर ही बुलंद बाग के नाम से जाना गया। यहां यमुना की धारा में घुमाव होने से वाटर लिफ्टिग सिस्टम बनाया गया था। यमुना का पानी रहट के माध्यम से लिफ्ट कर जल प्रणाली के माध्यम से यमुना किनारे बने अन्य बागों व रामबाग तक पहुंचाया जाता था। बुलंद बाग का तो अस्तित्व नहीं बचा, लेकिन उसके अवशेष जरूर हैं। यहां छोटे सात कुएं हैं। इसी वजह से इसे सतकुइयां के नाम से जाना जाता है। संरक्षण व देखरेख के अभाव में मुगलकालीन जल प्रणाली नष्ट हो रही थी। दीवारों से लाखौरी ईंटें निकल गई थीं, जिससे इसके गिरने का खतरा बढ़ गया था। प्राचीन जल प्रणाली को सहेजने के लिए एएसआइ द्वारा यहां संरक्षण कार्य किया जा रहा है। दीवारों से निकली ईंटें दोबारा लगाई जा रही हैं।
अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि मुगल काल में सतकुइयां और उसके आसपास बुलंद बाग हुआ करता था। यहां वाटर लिफ्टिग प्रणाली थी। यमुना का पानी लिफ्ट कर उसे रामबाग तक भेजा जाता था। यह मुगलकालीन जल प्रणाली का अच्छा उदाहरण है। ताजमहल में भी अपनाया गया था यही सिस्टम
सतकुइयां में इस्तेमाल किए गए वाटर लिफ्टिग सिस्टम को ताजमहल में भी अपनाया गया था। ताजमहल के पश्चिम दिशा में स्थित बाग खान-ए-आलम में प्राचीन वाटर लिफ्टिग सिस्टम आज भी है। यहां मुगल काल में रहट से पानी को लिफ्ट कर ऊपर बनाए गए वाटर चैनलों से टंकी तक पहुंचाया जाता था। वहां से जब पानी दबाव के साथ नीचे आता था तो ताजमहल के फव्वारे चलते थे।