Sankashti Chaturthi 2021: 31 को है संतान की रक्षा करने वाला व्रत, पढ़ें संकष्टी चतुर्थी पूजा का मुहूर्त और विधान

Sankashti Chaturthi 2021 31 जनवरी को है माघ मास की संकष्टी चतुर्थी का व्रत। भगवान लंबोदर की पूजा की जाती है इस दिन। संतान की मंगल कामना के लिए महिलाएं रखती हैं व्रत। रात को चंद्रोदय के पूजन के साथ होता है व्रत का परायण।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 03:06 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 03:06 PM (IST)
Sankashti Chaturthi 2021: 31 को है संतान की रक्षा करने वाला व्रत, पढ़ें संकष्टी चतुर्थी पूजा का मुहूर्त और विधान
31 जनवरी को है सकट चौथ व्रत। भगवान गणेश की होती है पूजा।

आगरा, जागरण संवाददाता। सनातन धर्म का प्रमुख त्योहार संकष्टी चतुर्थी 31 जनवरी को है। यूं तो हर माह की ही संकष्टी चतुर्थी या सकट चौथ को व्रत एवं पूजन होता है लेकिन माघ मास के कृष्ण पक्षी की चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार सनातन परंपरा में के प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी तथा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है। संकष्टी गणेश चतुर्थी पर विघ्नहर्ता गणेश जी की आराधना करने से सभी संकटों का निवारण होता है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। परिवार में आर्थिक संपन्नता आती है। सकट चौथ के व्रत में चंद्रोदय कालिक चतुर्थी को आधार माना जाता है।

सकट चौथ व्रत का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गणेश जी की उत्पत्ति हुई थी। इसे तिलकुटी एवं वक्रतुण्ड चतुर्थी भी कहा जाता है। जब व्यक्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे हों या वह संकटों में घिरने वाला हो, तो उसे गणेश चतुर्थी व्रत करना चाहिए। गणेश जी की कृपा से संकट टल जाते हैं, आर्थिक संपन्नता मिलती ​है और मोक्ष भी प्राप्त होता है।

सकट चौथ मुहूर्त

सकट चौथ 31 जनवरी, रविवार

चन्द्रोदय का समय: रात 08 बजकर 40 मिनट पर

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 31 जनवरी, रविवार रात 08 बजकर 24 मिनट से

चतुर्थी तिथि समाप्त: 1 फरवरी, सोमवार को शाम 06 बजकर 24 मिनट तक

सकट चौथ की पूजा विधि

गणेश चतुर्थी व्रत माघ, श्रावण, मार्गशीर्ष और भाद्र पद मास में करने का विशेष महत्व है। चतुर्थी के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें और दाहिने हाथ में पुष्प, अक्षत, गंध और जल लेकर व्रत का संकल्प लें। व्रत का संकल्प लेकर उपवास रखें, फिर अपने क्षमतानुसार गणेश जी की मूर्ति को कोरे कलश में जल भरकर, मुंह बांधकर स्थापित करें। फिर गणेश जी का आह्वान करें, फिर सायंकाल में उनको धूप- दीप,गंध, पुष्प, अक्षत्, रोली आदि से षोडशोपचार पूजन करें। पूजन के अंत में 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। 5 लड्डुओं को गणेश जी को भेंट करें, बचे हुए प्रसाद को ब्राह्मणों और भक्तों में बांट दें। साथ में दक्षिणा भी दें।

रात में चंद्रमा का पूजन

चंद्रोदय होने पर यथाविधि चन्द्रमा का पूजन कर छीरसागर आदि मंत्रों से अर्ध्यदान देते हुए नमस्कार करें। फिर ईश्वर का स्मरण करते हुए कहें कि वे आपके सभी संकटों को हर लें तथा अर्ध्य दान को स्वीकार करें। इसके पश्चात गणेश जी से प्रार्थना करें कि वे फूल और दक्षिणा समेत 5 लड्डुओं को मेरी आपत्तियां दूर करने के लिए स्वीकार करें। फिर कलश, दक्षिणा और गणेश जी की प्रतिमा पुरोहित को समर्पित करें और भोजन ग्रहण करें। 

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