Somvati Amavasya 2021: कल है सोमवती अमावस्या, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
Somvati Amavasya 2021 देव व पितृ पूजन को ब्रह्म मुहूर्त उत्तम। ज्योतिषाचार्य डा. राम बल्लभ भारद्वाज ने बताया कि चंण्ड मार्तंण्ड पंचांग के अनुसार इस विक्रम संवत की आखिरी अमावस्या की शुरूआत तो रविवार को सुबह 5 बजकर 48 मिनट से ही हो गई।
आगरा, जागरण संवाददाता। सोमवती अमावस्या सोमवार को श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी। देवताओं और पितृगणों के प्रति कार्यो को संपन्न कराने वाली इस अमावस्या पर पीपल के वृक्षों के पूजन का शास्त्रों में विशेष महत्व है। इन वृक्षों की परिक्रमा करने से पुरुखों को शांति मिलती है। ज्योतिषाचार्य डा. राम बल्लभ भारद्वाज ने बताया कि चंण्ड मार्तंण्ड पंचांग के अनुसार इस विक्रम संवत की आखिरी अमावस्या की शुरूआत तो रविवार को सुबह 5 बजकर 48 मिनट से ही हो गई। जो साेमवार को सुबह 7 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। ऐसे में सोमवार को उदया तिथि काल में अमावस्या काल रहने के कारण सोमवती अमावस्या का योग बन रहा है। उन्होंने बताया कि इस अमावस्या के काल में बृह्ममुहूर्त का समय देव और पितृ पूजन के लिए सर्वोत्तम रहेगा। इस काल में गंगा आदि पवित्र नदियों में पुरखों का तर्पण करने से उन्हें दिव्य शांति प्राप्त होती है। वहीं पीपल की पूजा और परिक्रमा भी फलदायी होती है।
सोमवती अमावस्या महत्व
सोमवती अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन बुध (बुध), शुक्रा (शुक्र, चंद्र (चंद्रमा), गुरु / ब्रहस्पति (बृहस्पति) और शनि (शनि) अपनी-अपनी राशियों में रहते हैं। अगर इस दिन कोई अविवाहित स्त्री व्रत करें तो उसे अच्छा वर प्राप्त होता है। इसके साथ ही संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत बेहद फलदायी होता है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती सभी की मनोकामना पूरी करते हैं जो उनकी पूजा करते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन दान करने से घर में सुख-शांति व खुशहाली आती है।