Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति पर खिचड़ी, जानिए क्यों और किसने शुरू की ये परंपरा
Makar Sankranti 2021 मकर संक्रांति पर खिचड़ी की बनाने की परंपरा सदियों पहले बाबा गोरखनाथ ने की थी। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी की जगह कुछ लोग दही पापड़ घी और अचार का मिश्रण भी खाते हैं। इस दिन खिचड़ी का दान भी किया जाता है।
आगरा, जागरण संवाददाता। सनातन धर्म का प्रमुख उत्सव मकर संक्रांति। इस उत्सव का नाम आते ही दान पुण्य के अलावा सबसे पहले खिचड़ी से सजी हुइ प्लेट दिमाग में आती है। हमारे देश में प्रत्येक त्योहार के पीछे कोई न कोई इतिहास और संदेश जरूर होता है। मकर संक्रांति भी उन्हीं में से एक है। वैसे तो यह पर्व पूरे देश में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। लेकिन इस दिन खिचड़ी बनाए जाने की परंपरा कई प्रदेशों में है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार मकर संक्रांति पर खिचड़ी की बनाने की परंपरा सदियों पहले बाबा गोरखनाथ ने की थी। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी की जगह कुछ लोग दही, पापड़, घी, और अचार का मिश्रण भी खाते हैं। इस दिन खिचड़ी का दान भी किया जाता है।
ये है पौराणिक कथा
जब खिलजी ने आक्रमण किया तो लगातार संघर्षरत रहने के चलते नाथ योगी भोजन तक नहीं कर पाते थे। इसके पीछे कारण यह था कि आक्रमण के चलते योगियों के पास भोजन बनाने का भी समय नहीं रहता था। वह अपनी भूमि को बचाने के लिए संघर्ष करते रहते थे और अक्सर ही भूखे रह जाते थे। खिलजी के साथ आक्रमण में नाथ योगी भूखे ही संघर्षरत रहते थे। बाबा गोरखनाथ ने इस समस्या का हल निकालने की सोची। लेकिन यह भी ध्यान रखना था कि ज्यादा समय भी न लगे। तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने की सलाह दी। बाबा गोरखनाथ का बताया हुआ यह व्यंजन नाथ योगियों को बेहद पसंद आया। इसे बनाने में काफी कम समय तो लगता ही था साथ ही काफी स्वादिष्ट और त्वरित ऊर्जा देने वाला भी होता था। कहा जाता है कि बाबा ने ही इस व्यंजन को खिचड़ी का नाम दिया। कहा जाता है कि फटाफट तैयार होने वाले इस व्यंजन से नाथ योगियों को भूख की परेशानी से राहत मिल गई। इसके अलावा वह खिलजी के आतंक को दूर करने में भी सक्षम हुए। इसके बाद से ही गोरखपुर में मकर संक्रांति के दिन को बतौर विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाया जाने लगा।
स्वास्थ्यवर्धक है संक्रांति पर खिचड़ी
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक खिचड़ी का मुख्य तत्व चावल और जल चंद्रमा के प्रभाव में होता है। इस दिन खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द की दाल का संबंध शनि देव से माना गया है। वहीं हल्दी का संबंध गुरु ग्रह से और हरी सब्जियों का संबंध बुध से माना जाता है। वहीं खिचड़ी में पड़ने वाले घी का संबंध सूर्य देव से होता है। इसके अलावा घी से शुक्र और मंगल भी प्रभावित होते हैं। यही वजह है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से आरोग्य में वृद्धि होती है।
संक्रांति पर तिल गुण का महत्व
तिल का सीधा संबंध शनि से है। यही वजह है कि मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ खाने की भी परंपरा है। इससे शनि, राहू और केतु से संबंधित सारे दोष दूर हो जाते हैं। वहीं तिल- गुड़ को बहते जल में प्रवाहित करने से व्यक्ति को हर तरह के कष्ट से मुक्ति मिलती है। आयुर्वेद में भी ठंड के मौसम में तिल-गुड़ खाना बहुत अच्छा और स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। यह शरीर को गर्म रख इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। तिल में मौजूद तेल शरीर के तापमान को सही बनाए रखता है। वहीं गुड़ की तासीर गर्म होती है और इसमें मौजूद आयरन और विटामिन सी गले और सांस की परेशानी को दूर करता है। इसी वजह से मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ के ढेर सारे व्यंजन बनाए और खाए जाते हैं।