Mahatma Gandhi: ताजनगरी का ऐसा पहला सरकारी कार्यालय, जहां होते हैं 'गांधी दर्शन'

Mahatma Gandhi विकास भवन में लगी महात्मा गांधी के बचपन से लेकर निधन तक की लगीं सौ से अधिक तस्वीरें। कार्यालय में सौ से अधिक तस्वीरें लगाई गई हैं। तस्वीरों के नीचले हिस्से में गांधी जी से जुड़े इतिहास के कुछ अंश भी अंकित किए गए हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 10:37 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 10:47 AM (IST)
Mahatma Gandhi: ताजनगरी का ऐसा पहला सरकारी कार्यालय, जहां होते हैं 'गांधी दर्शन'
विकास भवन में लगी महात्मा गांधी के बचपन से लेकर निधन तक की लगीं सौ से अधिक तस्वीरें।

आगरा, जागरण सवांददाता। विकास भवन ताजनगरी का पहला ऐसा सरकारी कार्यालय भवन बन गया है, जहां गांधी का दर्शन नजर आता है। महात्मा गांधी के बचपन से लेकर संघर्ष की पूरी दास्तां तस्वीरों के माध्यम से वर्णित की गई है। कार्यालय में सौ से अधिक तस्वीरें लगाई गई हैं। तस्वीरों के नीचले हिस्से में गांधी जी से जुड़े इतिहास के कुछ अंश भी अंकित किए गए हैं।

संजय प्लेस स्थित विकास भवन का इन दिनों कायाकल्प का काम चल रहा है। न सिर्फ रंगाई-पुताई बल्कि साज-सज्जा के अन्य कार्य भी किए गए हैं। मगर, इस कार्यालय का आकर्षण का केंद्र स्थायी रूप से लगाई गई महात्मा गांधी की चित्र प्रदर्शनी है। प्रवेश द्वार से लेकर द्वितीय तल तक सौ से अधिक गांधीजी से जुड़ी तस्वीरें दीवारों पर टांगी गई हैं। गांधीजी से जुड़े तत्कालीन चित्रों के नीचे उनका इतिहास भी दर्ज किया गया है। कार्यालय में आने वाले आंगुतकों के लिए यह चित्र प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

कुछ तस्वीरों पर अंकित इतिहास के अंश

- यह हैं सात वर्षीय मोहन, शर्मीले और एकांतप्रिय। उनकी खेलों के प्रति ज्यादा रुचि नहीं थी फिर भी वह कुछ खेल खेला करते थे। प्रारंभ से लेकर ही वह नैतिकता के प्रति अतिसंवेदीनशील थे और बदले की भावना उनमें बिल्कुल भी नहीं थी।

- असहयोग आंदोलन में तीन चीजों का बहिष्कार शामिल था-अंग्रेजी कपड़े, अग्रेजी अदालतें और सरकारी शैक्षिणक संस्थाएं। कांग्रेस ने अप्रैल 1921 में बहिष्कार का प्रस्ताव स्वीकृत किया। इस अभियान में हजारों लोगों ने भाग लिया और खुशी-खुशी जेल गए।

- दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के संघर्ष को लेकर बहुत सहानुभूति उमड़ रही थी और चिंता भी। गोपाल कृष्ण गोखले, 'सर्वेण्ट आफ इंडिया सोसाइधटी' के संस्थापक, जिन्हें गांधीजी ने बाद में अपना राजनैतिक गुरु भी कहा, उन्होंने स्थिति की सही-सही जानकारी लेने के लिए अक्टूबर 1912 में दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की।

- जब सरकार ने याचिकाओं पर ध्यान नहीं दिया, तब गांधीजी ने सैकड़ों भारतीयों-पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के साथ नाताल से ट्रांसवाल के लिए एतिहासिक पैदल मार्च की शुरुआत की। इसमें लोगों को बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ा और गांधी जी तथा उनके सहकर्मियों को भी गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। 

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