Karwa Chauth 2020: करवा चौथ पर हर जगह रौनक, जानिए आगरा में आज कब दिखेगा चांद

Karwa Chauth 2020 वर्षों बाद करवा चौथ पर विशेष ज्योतिषीय योग बन रहे हैं। चतुर्थी बुधवार मृगशिरा नक्षत्र अहर्निश शिव महायोग सर्वार्थसिद्धि योग और बुध प्रधान मिथुन राशि का चंद्रमा ये सब अखंड सुहाग के प्रतिमान करवाचौथ को कुछ विशेष बना रहे हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Wed, 04 Nov 2020 03:05 PM (IST) Updated:Wed, 04 Nov 2020 03:05 PM (IST)
Karwa Chauth 2020: करवा चौथ पर हर जगह रौनक, जानिए आगरा में आज कब दिखेगा चांद
वर्षों बाद करवा चौथ पर विशेष ज्योतिषीय योग बन रहे हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। सनातन धर्म में चंद्रमा को देवता के रूप माना जाता है। ऐसे कई व्रत और त्योहार होते हैं, जिनमें चंद्रोदय समय का विशेष महत्व होता है। इनमें से एक करवा चौथ भी है। इस व्रत में सुहागिन व्रती महिलाएं चंद्र दर्शन एवं पूजन करने के बाद अपना व्रत खाेलती हें। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार वर्षों बाद करवा चौथ पर विशेष ज्योतिषीय योग बन रहे हैं। चतुर्थी बुधवार, मृगशिरा नक्षत्र, अहर्निश शिव महायोग, सर्वार्थसिद्धि योग और बुध प्रधान मिथुन राशि का चंद्रमा ये सब अखंड सुहाग के प्रतिमान करवाचौथ को कुछ विशेष बना रहे हैं। ये सभी योग पूरे शिव परिवार का आशीर्वाद प्रदान करने वाले हैं। करवा चौथ चतुर्थी की तिथि बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है।  

जानिए आपके शहर में कब देंगे चंद्रमा दर्शन 

आगरा में करवा चौथ के दिन चंद्रोदय रात 20:11:59 मिनट पर और चंद्रास्त रात 09:33:00 पर होगा। भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में करवा चौथ के दिन चंद्रोदय रात 20:12:59 मिनट पर और चंद्रास्त रात 09:35:00 पर होगा। मैनपुरी में करवा चौथ के दिन चंद्रोदय रात 20:10:59 मिनट पर और चंद्रास्त रात 09:40:00 पर होगा। फीरोजाबाद करवा का चंद्रोदय रात 20:10:59 मिनट पर और चंद्रास्त रात 09:33:00 पर होगा। एटा में चंद्र दर्शन रात 20:27:55 मिनट पर होंगे और चंद्रास्त 09:38:00 पर होगा। कासगंज में चंद्रमा के दर्शन रात 20:30:55 मिनट पर होंगे और चंद्रास्त 09:41:00 पर  होगा।     

पौराणिक कथा के अनुसार ऐसे हुई थी चंद्रदेव की उत्पत्ति

डॉ शाेनू कहती हैं कि विज्ञान के आधार पर चन्द्रमा को पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह माना गया है, लेकिन यदि हम हिन्दू पौराणिक कथा की बात करें तो इसके अनुसार चंद्रदेव की उत्पत्ति की कथा बिल्कुल अलग है। भागवत पुराण की कथा के अनुसार जब इस सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी ने दुनिया का निर्माण किया तो उन्होनें सबसे पहले मानस पुत्रों की रचना की। ब्रह्मा जी के इन मानस पुत्रों में से ऋषि अत्रि का विवाह ऋषि कर्दन की बेटी अनुसुईया से हुआ था। ऋषि अत्रि और अनुसुईया के तीन पुत्र हुए ऋषि दत्तात्रेय, ऋषि दुर्वाशा और ऋषि सोम। ऋषि सोम ही चंद्रदेव कहलाए। चंद्रदेव के वस्त्र से लेकर उनके रथ भी सफ़ेद रंग के हैं। भगवान शिव ने चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है। हिन्दू धर्म में चंद्रदेव की कुल 27 पत्नियां बताई गई हैं, जो 27 नक्षत्रों के रूप में जानी जाती है। ज्योतिषशास्त्र में चन्द्रमा को मुख्यरूप से कर्क राशि का स्वामी माना जाता है और सभी नवग्रहों में चन्द्रमा का दूसरा स्थान मिला हुआ है। 

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