Flow of Yamuna: कालिंदी ने समय के साथ ली करवट तो खेतों की भी बदल गई सीमा

ट्यूब के सहारे नदी पार कर खेतों में जाते हैं फतेहाबाद के ग्रामीण। कटान के चलते पांच दशक में एक से डेढ़ किमी खिसक गई कालिंदी। तनौरा गांव का काफी हिस्सा नदी में समाया। वर्ष 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने पांच ठोकरों के निर्माण की घोषणा की थी।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 20 Feb 2021 09:35 AM (IST) Updated:Sat, 20 Feb 2021 09:35 AM (IST)
Flow of Yamuna: कालिंदी ने समय के साथ ली करवट तो खेतों की भी बदल गई सीमा
आगरा के फतेहाबाद क्षेत्र में खेत पर काम करने के लिए ट्यूब से यमुना नदी पार करता किसान।

आगरा, मुन्नालाल शर्मा। कल-कल करती कालिंदी (यमुना) ने करवट ले जगह बदली तो आगरा जिले के तटवर्ती गांवों में आने वाले खेत अब फीरोजाबाद जिले की सीमा में पहुंच गए हैं। जिंदगी दांव पर लगा ट्यूब के सहारे नदी पार कर किसान अपने खेतों में जाते हैं। पांच दशक में लगातार नदी के कटान के चलते यह हालात पैदा हुए हैं। ग्रामीण कहते हैं कि यदि यमुना के किनारे पर जगह-जगह ठोकरें बन जाएं तो नदी का कटान थम जाएगा।

फतेहाबाद के तनौरा, नूरपुर, मेहरा नाहरगंज और समोगर यमुना नदी से सटे गांव हैं, उस पार फीरोजाबाद है। ग्रामीण बताते हैं कि करीब 50 वर्ष पूर्व यमुना नदी गांव के किनारे बहती थी, लेकिन लगातार कटान से अब सदर तहसील क्षेत्र से होकर गुजर रही है। उनके खेत जो पहले सदर तहसील में थे, अब फीरोजाबाद की सीमा में पहुंच गए हैं। जिससे फसल की देखरेख में काफी परेशानी उठानी पड़ती है। ग्रामीण कहते हैं कि यदि कटान न रोका गया तो तनौरा गांव यमुना नदी में समा जाएगा।

कटान न रुका तो कई गांव समा जाएंगे नदी में

वर्ष 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने यमुना के किनारे पांच ठोकरों के निर्माण की घोषणा की थी। तत्कालीन सांसद राजबब्बर के कार्यकाल में तीन ठोकरें तनौरा गांव में एक नूरपुर में और एक अन्य गांव में बनाई गईं। जिससे काफी राहत मिली। नूरपुर गांव के देवलाल, अमृतलाल, मनोहर, सत्यप्रकाश के अनुसार यदि 12 ठोकरें और बन जाएं तो यमुना नदी का कटान रुक जाएगा। अन्यथा कई गांव नदी में समा जाएंगे।

हल नहीं हो पाते राजस्व से संबंधित मामले

गांव कबीस निवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य बहादुर सिंह और नगला बिंदू निवासी जिला पंचायत सदस्य सकला सिंह ने बताया कि 50 वर्ष पूर्व यमुना नदी वर्तमान स्थान से करीब एक से डेढ़ किलोमीटर दूर अनवारे के पुल के पास बहती थी। धीरे-धीरे कटान के कारण ये तनौरा गांव तक पहुंच गई। इस वजह से इन गांवों में जमीन की पैमाइश भी नहीं हो पाती। गांवों के राजस्व से संबंधित मामले भी नहीं हल हो पाते।

संसद सत्र की समाप्ति के बाद विभागीय अधिकारियों के साथ मौके पर जाएंगे। उनसे ठोकरों के निर्माण के लिए एस्टीमेट बनवाया जाएगा। लखनऊ से राशि स्वीकृत कराकर इस समस्या का समाधान कराया जाएगा।

राजकुमार चाहर, सांसद, फतेहपुर सीकरी 

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