जोंस मिल के साथ करोड़ों रुपये के भूमि घोटाला की जांच ने पकड़ी रफ्तार

ईओडब्ल्यू कानपुर की टीम ने आगरा में डाला डेरा जोंस मिल की जमीन से जुड़े 500 पेज की कराई गई फोटो कापी डीएम से की मुलाकात कई अहम दस्तावेज अपने कब्जे में लिए आज भी दोनों मामलों में होगी जांच

By JagranEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 05:15 AM (IST) Updated:Wed, 09 Jun 2021 05:15 AM (IST)
जोंस मिल के साथ करोड़ों रुपये के भूमि घोटाला की जांच ने पकड़ी रफ्तार
जोंस मिल के साथ करोड़ों रुपये के भूमि घोटाला की जांच ने पकड़ी रफ्तार

आगरा,जागरण संवाददाता। जीवनी मंडी रोड स्थित जोंस मिल के साथ ही दिल्ली गेट में करोड़ों रुपये के जमीन घोटालों की जांच तेज हो गई है। आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) कानपुर की टीम ने मंगलवार को आगरा में डेरा जमा लिया। डीएम प्रभु एन सिंह सहित अन्य अफसरों से मुलाकात की और अहम दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया। कलक्ट्रेट में जोंस मिल की जमीन से जुड़े 500 पेज की फोटो कापी कराई गई। टीम बुधवार को आगरा में रहेगी और दोनों मामलों में सुबूतों को जुटाएगी। जोंस मिल : 23 खसरों में 33 हेक्टेअर जमीन है। यह जमीन राज्य सरकार की है। फर्जी तरीके से सरकारी जमीन का उप निबंधक पंचम के यहां बैनामा कराया गया। इसमें नगर निगम की संपत्ति संख्या को दर्शाया गया है। मंगलवार दोपहर ईओडब्ल्यू कानपुर की टीम कलक्ट्रेट पहुंची। टीम ने एडीएम प्रोटोकाल हिमांशु गौतम से मुलाकात की। जमीन से संबंधित दस्तावेज लिए। फिर टीम ने डीएम से मुलाकात की। एडीएम प्रशासन निधि श्रीवास्तव द्वारा की गई जांच व अन्य दस्तावेजों को उपलब्ध कराने के लिए कहा। इसमें अधिकांश अहम दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए हैं। कई ऐसे दस्तावेज हैं जिनकी फोटो कापी कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट 1277 पेज की है। जांच टीम के एक अधिकारी ने बताया कि गुरुवार दोपहर तक टीम आगरा में रहेगी। डीके जोशी की शिकायत पर जमीन घोटाले की जांच : 14 साल पूर्व समाजसेवी डीके जोशी ने शासन में दिल्ली गेट की जमीन में हुए घोटाले की शिकायत की थी। शासन के आदेश पर मई 2018 में ईओडब्ल्यू कानपुर की टीम ने जांच शुरू की थी। इसमें चार तहसीलदार सहित 13 लोगों को दोषी पाया गया। इन सभी के खिलाफ अपनी कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया है। 50 से अधिक लोगों ने अहम दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। फर्जी दस्तावेज तैयार कर खसरा नंबर 499, 504 और 395 की जमीन को बेचा गया। ईओडब्ल्यू के एक अधिकारी ने बताया कि वर्ष 1942 में रेलवे की जमीन की नीलामी हुई थी। बैनामा की कापी अभी तक नहीं मिली है।

इनके खिलाफ दर्ज है मुकदमा : तत्कालीन तहसीलदार सदर के तहसीलदार माता फेर सिंह, नेम सिंह, जीत लाल सैनी, जगदंबा प्रसाद सिंह, नायब तहसीलदार गिरी दम सिंह, लेखपाल महेंद्र सिंह, सत्य प्रकाश चाहर, रोशन लाल, हरि शंकर, प्रभु नगर जयपुर हाउस निवासी कपूर चंद्र, पुष्पांजलि अपार्टमेंट के निदेशक ब्रज भूषण अग्रवाल उनकी पत्नी सुमन बाला और बेटा संजय अग्रवाल। - ईओडब्ल्यू की टीम ने मुलाकात की थी। जोंस मिल से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं एक अन्य जमीन घोटाले में दस्तावेज मांगे गए हैं। जमीन की नीलामी से संबंधित कुछ जानकारी मांगी गई है।

प्रभु एन सिंह, डीएम

chat bot
आपका साथी