धरोहर के संरक्षण को करते हैं क्लीनिग और प्रिजर्वेशन
एएसआइ की रसायन शाखा ने किया था ताजमहल के नक्शे का प्रिजर्वेशन फतेहपुर सीकरी में प्रदर्शित तलवार व सिक्कों की क्लीनिग भी की थी
आगरा,
जागरण संवाददाता। मंगलवार को इंटरनेशनल म्यूजियम डे है। ताजनगरी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा ताजमहल और फतेहपुर सीकरी म्यूजियम में प्रदर्शित पुरावशेषों के जरिए पर्यटकों को भारत के गौरवशाली अतीत की जानकारी दी जाती है। म्यूजियम में प्रदर्शित पुरावशेष जितने महत्वपूर्ण हैं, भविष्य के लिए उनका संरक्षण भी उतना ही महत्वपूर्ण है। एएसआइ की रसायन शाखा इस काम को करती है।
कोरोना संक्रमण के चलते स्मारकों पर ताला लगा हुआ है। एएसआइ द्वारा इंटरनेशनल म्यूजियम डे पर कोई आयोजन नहीं किया जा रहा है। म्यूजियम में प्रदर्शित धरोहरों को भविष्य के लिए संरक्षित करने का काम एएसआइ की रसायन शाखा करती है।
उसने पिछले वर्ष ताजमहल म्यूजियम में प्रदर्शित 18वीं शताब्दी के ताजमहल के नक्शे का केमिकल प्रिजर्वेशन किया था। कैनवास पर बने ताजमहल के इस साइट प्लान में ताजमहल के उद्यान में लगे पेड़ों के साथ ही ताजगंज के चारों कटरों का भी चित्रण है। यह माइश्चर की वजह से खराब हो रहा था। रसायन शाखा ने फतेहपुर सीकरी में उत्खनन में मिली 17वीं शताब्दी की तलवार की भी क्लीनिग कर उसका प्रिजर्वेशन किया था। सीकरी म्यूजियम में प्रदर्शित मुगलकालीन सिक्कों की क्लीनिग भी रसायन शाखा द्वारा की गई थी। अधीक्षण पुरातत्वज्ञ रसायन डा. एमके भटनागर बताते हैं कि विभाग हमें जो भी पुरावशेष उपलब्ध कराता है, उनकी क्लीनिग और प्रिजर्वेशन कर उनका संरक्षण किया जाता है। म्यूजियम में प्रदर्शन से पूर्व मूर्तियों की सफाई की जाती है। धातु से बनी वस्तुओं की केमिकल क्लीनिग कर प्रिजर्वेशन किया जाता है। टैक्सटाइल, हाथीदांत से बनी पुरातात्विक वस्तुओं के संरक्षण का काम भी विभाग करता है। 115 वर्ष पुराना है ताज म्यूजियम
एएसआइ द्वारा ताजमहल स्थित पश्चिमी जलमहल में म्यूजियम संचालित किया जाता है। ब्रिटिश वायसराय लार्ड कर्जन (1899-1905) के प्रयासों से ताजमहल के रायल गेट में बायीं तरफ स्थित दो कक्षों में वर्ष 1906 में म्यूजियम शुरू किया गया था। वर्ष 1982 में इसे वर्तमान जगह शिफ्ट कर दिया गया। इसमें तीन गैलरियां हैं, जिनमें ताजमहल का मूल नक्शा, पुराने हथियार, ताजमहल की पच्चीकारी में इस्तेमाल किए गए विभिन्न देशों से मंगाए गए पत्थरों की जानकारी, शाहजहां द्वारा जारी फरमान, चहल मजलिस, सोने व चांदी के मुगलकालीन सिक्के, हाथी दांत पर बने शाहजहां व मुमताज के चित्र प्रमुख हैं। दिल्ली म्यूजियम से लाई गई शाहजहां के समय की सेलाडन (चीनी मिट्टी) से बनी रकाबी भी यहां है, जो भोजन में विष मिला होने पर रंग बदलती है। ग्रीन ग्लेज्ड कोटिग होने से यह धातु की बनी नजर आती है। अनमोल है सीकरी की धरोहर
फतेहपुर सीकरी में एएसआइ द्वारा करीब सात वर्ष पूर्व म्यूजियम शुरू किया गया था। यहां फतेहपुर सीकरी की समृद्ध विरासत और उसका इतिहास संजोया गया है। यहां बीर छबीली टीला के उत्खनन में प्राप्त सातवीं शताब्दी की अंबिका की मूर्ति, 11वीं शताब्दी की जैन सरस्वती की मूर्ति, तीर्थंकर आदिनाथ व संभवनाथ की मूर्तियां प्रमुख हैं। इनके साथ रसूलपुर व हाड़ा महल के पास उत्खनन में मिले धूसर मृद्भांड, गैरिक मृद्भांड, कुषाण काल के मृद्भांड, लोहे की कुल्हाड़ी, तांबे की घंटी, कटोरा, मुगलकालीन तलवार और मुगलकालीन सिक्के यहां हैं। उपेक्षित है ताज सिटी म्यूनिसिपल म्यूजियम
शहर के मध्यम में पालीवाल पार्क स्थित जोंस पब्लिक लाइब्रेरी में ताज सिटी म्यूनिसिपल म्यूजियम है। यहां बौद्ध व मुगलकालीन मूर्तियों के अवशेषों के साथ कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। आगरा के उद्यानों का नक्शा, अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित आगरा शहर की जानकारी, ताज के सेवन वंडर्स में शामिल होने पर मिली शील्ड और रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु होने पर भेजे गए तार की प्रति यहां मौजूद हैं। निर्माणाधीन है छत्रपति शिवाजी म्यूजियम
शिल्पग्राम के नजदीक छत्रपति शिवाजी म्यूजियम अभी निर्माणाधीन है। यह उप्र का पहला सरकारी भवन है, जिसे प्री-कास्ट टेक्नीक का उपयोग कर बनाया जा रहा है।