Independence Day Celebration Agra: 90 की उम्र में भी समाज को दिशा देने का काम कर रहीं आगरा की ये स्वतंत्रता सेनानी

Independence Day Celebration Agra 90 वर्षीय सरोज गौरिहार का जन्म आगरा के कचहरीघाट में हुआ था। उनके पिता स्व.जगन प्रसाद रावत व माता स्व.सत्यवती रावत भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 02:32 PM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 02:32 PM (IST)
Independence Day Celebration Agra: 90 की उम्र में भी समाज को दिशा देने का काम कर रहीं आगरा की ये स्वतंत्रता सेनानी
Independence Day Celebration Agra: 90 की उम्र में भी समाज को दिशा देने का काम कर रहीं आगरा की ये स्वतंत्रता सेनानी

आगरा, जागरण संवाददाता। स्वतंत्रता आंदोलन में संघर्ष करने वालीं सरोज गौरिहार देश को तरक्की की राह पर बढ़ता देख रही हैैं। देश के लिए कुर्बानी देने वालों के सपने पूरे हो रहे हैैं।

उन्होंने जागरण से बातचीत में कहा कि जिस आजादी के लिए उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की अमानुषिक यातनाएं सहीं, अनगिनत देशभक्तों ने अपनी कुर्बानी दी। उसका फल भले ही कम मिल रहा है,लेकिन मिलने लगा है। देश ने लगातार तरक्की की है। आजादी के बाद जहां सूई तक नहीं बनती थीं, वहां अब बड़े-बड़े हवाई जहाज तक तैयार हो रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में विकास हुआ है, टेक्निकल संस्थान भी बढ़े हैैं। आइटी के क्षेत्र में तो हमारा देश कई देशों में आगे हो गया है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गौरिहार युवा पीढ़ी में देशभक्ति की भावना बढ़ाने की जरूरत समझती हैैं। उनका कहना है कि युवाओं को बताना चाहिए कि जिस धरती पर हमने जन्म लिया, वह स्वर्ग से भी अच्छी है। प्रतिभावान होने के बाद जिन देशों में वह पलायन करना चाहते हैं, वह राष्ट्र के प्रति प्रेम नहीं है। जिस देश को अनगिनत कुर्बानियों से आजाद कराया है, उसके लिए सभी को समर्पित होना चाहिए।

गौरिहार के माता-पिता भी थे सेनानी

90 वर्षीय सरोज गौरिहार का जन्म आगरा के कचहरीघाट में हुआ था। उनके पिता स्व.जगन प्रसाद रावत व माता स्व.सत्यवती रावत भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान सरोज वर्ष 1943 में एक साल आगरा और लखनऊ की जेल में रहीं। वह एमए, एएलएलबी हैैं। उनका विवाह गौरिहार (बुदेलखंड, जिला छतरपुर) में हुआ था। गौरिहार विधानसभा क्षेत्र से वे विधायक रहीं। इनके पति महाराज प्रताप सिंह देव, गौरिहार स्टेट के राजा थे। उनके निधन के बाद वे आगरा आ गईं और कमला नगर स्थित अपने पिता के आवास में रहने लगीं। आज सरोज गौरिहार शहर की कइर् सामाजिक संस्थाआें से जुड़ी हुइर् हैं। उम्र के इस पड़ाव में भी वे समाज को दिशा देने का कार्य कर रही हैं। 

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