हॉकी के क्षेत्र में आगरा में भी खिलाड़ी कम नहीं, लेकिन है संसाधनों का रोना

स्कूलों में ही दम तोड़ गई हाकी टूर्नामेंट खेलने को तरसते खिलाड़ी। स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ है कोच और उपकरणों का है अभाव। ताजनगरी ने देश को ओलिंपियन हाकी खिलाड़ी जगबीर सिंह दिए हैं। गौरवशाली अतीत के बावजूद यहां के खिलाड़ी नेशनल लेवल से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 11:48 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 11:48 AM (IST)
हॉकी के क्षेत्र में आगरा में भी खिलाड़ी कम नहीं, लेकिन है संसाधनों का रोना
आगरा में हॉकी खिलाडि़यों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरुष हाकी टीम रविवार को टोक्यो ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंच गई। हाकी प्रेमियों में इससे खुशी की लहर दौड़ गई है। टीम से देश मेडल जीतने की आस लगाए हैं। ताजनगरी ने देश को ओलिंपियन हाकी खिलाड़ी जगबीर सिंह दिए हैं। यहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है। नेशनल लेवल तक खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। वो भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर पदक जीतकर देश का मान बढ़ाना चाहते हैं। ओलिंपिक मेडल जीतना चाहते हैं, लेकिन उनकी राह में अनेक रोड़े हैं। स्कूलों में हाकी दम तोड़ चुकी है। स्कूलों में मैदान और स्टेडियम में कोच का अभाव है।

आगरा में एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम में हाकी खिलाड़ियों के अभ्यास को एस्ट्रो टर्फ की सुविधा है। करीब पांच वर्ष पूर्व आगरा की हाकी को एस्ट्रो टर्फ की सौगात मिली थी। यहां 5-ए साइड हाकी टूर्नामेंट को ध्यान में रखकर एस्ट्रो टर्फ लगवाया गया था। कोरोना काल में यहां डेढ़ वर्ष से हाकी कोच की तैनाती नहीं हो सकी है। खिलाड़ी इसके चलते अभ्यास व उचित मार्ग-निर्देशन को तरस रहे हैं। अभ्यास के लिए अच्छे उपकरणों का भी अभाव है। हाकी के गौरवशाली अतीत के बावजूद यहां के खिलाड़ी नेशनल लेवल से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

यह होना चाहिए

-स्कूलों में हाकी को पुनर्जीवित किया जाए।

-छोटी उम्र में बच्चों की पहचान कर उन्हें प्रशिक्षण दिलाया जाए।

-स्टेडियम में अच्छे और स्थायी कोच की तैनाती हो।

-अधिक से अधिक टूर्नामेंट हों, जिससे खिलाड़ियाें को खेलने का मौका मिले।

-हाकी खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं से युक्त छात्रावास बनाया जाए।

ताजनगरी में होता था मेजर ध्यानचंद टूर्नामेंट

आगरा हाकी के सचिव संजय गौतम ने बताया कि पूर्व में आगरा में हाकी के कई राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट होते थे। 70 से 90 के दशक तक मेजर ध्यानचंद हाकी टूर्नामेंट हुआ करता था। हरीशंकर दीक्षित 8-ए साइड हाकी टूर्नामेंट वर्ष 2003-04 तक हुआ। मेजर एचएस साहनी राज्य स्तरीय टूर्नामेंट का आयोजन स्टेडियम में वर्ष 2013-14 तक हुआ। अब पहले की तरह टूर्नामेंट नहीं होते हैं। पहले आगरा कालेज, सेंट जोंस कालेज, आरबीएस इंटर कालेज और स्टेडियम में हाकी के मैच देखने के लिए भीड़ उमड़ती थी।

इन स्कूलों में हो रही हाकी

स्कूल स्तर पर खालसा इंटर कालेज, एनसी वैदिक इंटर कालेज, एमडी जैन इंटर कालेज, बेनी सिंह इंटर कालेज और कैंटोनमेंट स्कूल के खिलाड़ी हाकी खेलते हैं। अन्य स्कूलों में खिलाड़ी हाकी में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।

स्टेडियम में कोच नहीं है। पहले स्कूल स्तर पर हाकी होती थी, टूर्नामेंट होते थे। अब स्कूल स्तर पर हाकी दम तोड़ चुकी है। टूर्नामेंट नहीं होने से खिलाड़ियों को खेलने का मौका नहीं मिल पाता है।

-मो. खलील, खिलाड़ी

आगरा में हाकी को वर्तमान स्थिति से उबारना है तो हमें खिलाड़ियों को सुविधाएं उपलब्ध करानी होंगी। अच्छे कोच के साथ अभ्यास के लिए उपकरण मिलेंगे तो खिलाड़ियों की प्रतिभा निखरेगी।

-मोहित सिंह, खिलाड़ी

स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ तो है, लेकिन प्रशिक्षण देने को कोच नहीं है। उपकरणों का अभाव है। जब तक व्यवस्थाओं को दुरुस्त नहीं किया जाएगा, तब तक स्थिति में सुधार नहीं हो सकेगा।

-शाहरुख, खिलाड़ी

स्टेडियम में डेढ़ वर्ष से कोच तैनात नहीं है। स्कूल स्तर पर टूर्नामेंटों का आयोजन बंद हो चुका है। हास्टल की सुविधा नहीं है। उपकरणों का अभाव है। स्कूल स्तर पर ध्यान देना होगा।

-विकास शर्मा, खिलाड़ी

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