Occupation on Government Land: आस्था सिटी सेंटर में मिली 10976 वर्ग मीटर सरकारी जमीन
Occupation on Government Land चार अगस्त 2007 को मैसर्स रैंसी कंस्ट्रक्शन के नाम विक्रय विलेख किया गया। यह जमीन ए.यू. जॉन की बताई गई है।
आगरा, जागरण संवाददाता। जीवनी मंडी स्थित जोंस मिल की जमीन में एक और चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। आस्था सिटी सेंटर में 10976 वर्ग मीटर सरकारी जमीन मिली है।
खसरा नंबर 2078 में 5016 वर्ग मीटर नहर विभाग की जमीन है। नियमानुसार जमीन की बिक्री नहीं की जा सकती है, लेकिन चार अगस्त 2007 को मैसर्स रैंसी कंस्ट्रक्शन के नाम विक्रय विलेख किया गया। यह जमीन ए.यू. जॉन की बताई गई है। छह अक्टूबर 2008 को तत्कालीन तहसीलदार सदर ने नहर भूमि का म्यूटेशन भी कर दिया। एक बार भी दस्तावेजों की जांच नहीं की गई। नियमों को दरकिनार करते हुए जिस खसरा नंबर का बैनामा किया गया, उसके बदले खसरा नंबर 2080 में कब्जा ले लिया गया। सेंटर में खसरा नंबर 2079 की 5960 वर्ग मीटर जमीन है। यह जमीन बंजर है। यानी सरकारी जमीन है। जिसकी बिक्री किसी तरीके से नहीं की जा सकती है। जांच में पाया गया कि कुछ हिस्सा यमुना नदी के डूब क्षेत्र का भी आ रहा है। पूर्व में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर सर्वे भी हो चुका है, लेकिन प्रशासन और एडीए ने इस पर अमल नहीं किया। आस्था सिटी सेंटर में जो सरकारी जमीन मिली है उसमें से अधिकांश पर अभी कोई निर्माण नहीं हुआ है। ऐसे में प्रशासन जमीन को कब्जे में लेने की तैयारी कर रहा है।
जांच में फंसेंगे कई तहसील और निबंधन विभाग के अफसर
जीवनी मंडी क्षेत्र उप निबंधक पंचम कार्यालय में आता है। सरकारी जमीन को फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से खरीदने और बेचने की जांच में कई अफसर फंसेंगे।
दस्तावेज न देने पर एक तरफा निर्णय सुनाएगा जिला प्रशासन
जोंस मिल के 23 खसरों में 34.74 हेक्टेअर जमीन है। प्रशासन ने जमीन की पैमाइश पूरी कर ली है। शुक्रवार को आला अफसरों की बैठक हुई। अफसरों ने बताया कि 23 खसरों में जिन लोगों के मकान, दुकानें, बहुमंजिला भवन या फिर अन्य का निर्माण है, उनसे दस्तावेज दिखाने के लिए कहा गया था। इसके लिए तीन दिन का मौका दिया गया था। 10 अगस्त तक पांच लोगों ने ही दस्तावेज दिखाएं हैं। प्रशासन ने दस्तावेज दिखाने का अंतिम मौका दिया है। इसकी तारीख को बढ़ाकर अब 17 अगस्त की शाम पांच बजे तक कर दिया गया है। जांच समिति की अध्यक्ष निधि श्रीवास्तव ने बताया कि कलक्ट्रेट स्थित उनके कार्यालय, नायब तहसीलदार सुनील सिंह, राजस्व निरीक्षक ललित नारायन को प्रमाणिक दस्तावेज उपलब्ध करा सकते हैं। निर्धारित अवधि तक अगर कोई व्यक्ति दस्तावेज उपलब्ध नहीं करता है तो ऐसे में जिला प्रशासन एक तरफा निर्णय सुना सकता है।
पेट्रोल पंपों पर कसा शिकंजा
जीवनी मंडी स्थित जोंस मिल की जमीन पर तीन पेट्रोल पंप भी मिले हैं। इन पंपों के दस्तावेजों की जांच चल रही है। पंपों के हिसाब से जितनी जमीन होनी चाहिए, उससे कहीं कम पर यह खुले हुए हैं। फिलहाल इन सब के बैनामा निकलवाए जा रहे हैं।
12 में अभी तक दो ही मिलीं लीज डीड
शुक्रवार को तहसील सदर स्थित उप निबंधक पंचम कार्यालय में 120 साल पुरानी 12 लीज डीड और सेल डीड की तलाश की गई। शाम तक दो लीज डीड मिली हैं। एक वर्ष 1900 और दूसरी 1906 की है। डीड की भाषा उर्दू है। बाकी दस लीज और सेल डीड की तलाश की जा रही है। अगले सप्ताह तक यह मिलने की उम्मीद है।
ये है राज्य सरकार की भूमि
भूमि की श्रेणी, खसरा नंबर, क्षेत्रफल
- 14(3) बंजर, 1739, 0.115 हेक्टेअर
- 14(3) बंजर, 2079, 0.207 हेक्टेअर
- 14(3) बंजर, 2086, 0.104 हेक्टेअर
- 15(2) नजूल भूमि, 1741, 0690 हेक्टेअर
- 15(2) नजूल भूमि, 2066, 0.081 हेक्टेअर
- 15(2) नजूल भूमि, 2090, 0.4140 हेक्टेअर
- आस्था सिटी सेंटर में नहर और बंजर जमीन मिली है। इसकी जांच की जा रही है। दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है। अधिकांश जमीन खाली पड़ी हुई है।
निधि श्रीवास्तव, अध्यक्ष जांच समिति और एडीएम प्रशासन