आइइटी के छात्रों ने बनाया कृषि ड्रोन, फसलों में कीड़ों की करेगा खोज और छिड़काव-फोटो

आइआइएम बेंगलुरु में छात्रों को मिली ट्रेनिग आइआइसीडीसी में बने विजेता डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिग

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 01:03 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 01:03 AM (IST)
आइइटी के छात्रों ने बनाया कृषि ड्रोन, फसलों में कीड़ों की करेगा खोज और छिड़काव-फोटो
आइइटी के छात्रों ने बनाया कृषि ड्रोन, फसलों में कीड़ों की करेगा खोज और छिड़काव-फोटो

आगरा, जागरण संवाददाता।

डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिग एंड टेक्नोलाजी के छात्रों ने किसानों के लिए कृषि ड्रोन बनाया है। यह ड्रोन खेत में उन हिस्सों को ढूंढ निकालेगा, जहां कीड़े फसल को खराब कर रहे हैं। यही नहीं, वहां रसायन का छिड़काव भी करेगा। इंस्टीट्यूट के छह छात्रों का चयन आइआइएम बेंगलुरु में ट्रेनिग के लिए हुआ है।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स इंडिया (टीआइ इंडिया) और भारतीय संस्थान द्वारा आयोजित इंडिया इनोवेशन चैलेंज डिजाइन प्रतियोगिता (आइआइसीडीसी) 2019 में संस्थान के छह छात्रों की टीम विजेता बनी है। टीम में कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रोनिक्स के प्रदीप कुमार, आदर्श सिंह, आकांक्षा श्रीवास्तव, शालिनी सिंह, मोहम्मद आदिल व अचित कुमार शामिल हैं। छात्रों को डा. सकीना देव ने निर्देशन दिया। निदेशक प्रो. वीके सारस्वत ने छात्रों को इस उपलब्धि पर बधाई दी है। क्या है यह ड्रोन

छात्रों ने ऐसा कृषि ड्रोन बनाया है जो मूल रूप से एक क्वाडकाप्टर है। यह एक उड़ान नियंत्रक और किसी भी प्रकार की बाधा से बचाव के लिए सुसज्जित है। इसका उपयोग फसल में रोग का शीघ्र पता लगाने, कीटनाशक के छिड़काव और फसल को आकस्मिक आग से बचाने के लिए अलार्म बजाकर और तत्काल संदेश भेजकर किसान को सचेत करने के लिए किया जा सकता है। कैसे काम करता है यह ड्रोन

ड्रोन कैमरे से क्षेत्र की पहली मैपिग की जाती है। मैप किए गए डाटा को बीमारी का पता लगाने के लिए सीएनएन माडल को भेजा जाता है। माडल रोग की भविष्यवाणी करता है तो किसान को मेल भेजा जाता है। इस मेल में अनुशंसित इलाज भी होता है। यही ड्रोन रसायन का छिड़काव भी करता है।इसमें कीटनाशक के वास्तविक समय के छिड़काव के लिए रंग और बनावट का पता लगाने का सेंसर भी लगा है। ड्रोन की मदद से 75 फीसद तक सही रोग का पता लगाया जा सकता है।

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