Authentication Code: एलपीजी सिलिंडर चाहिए तो देना होगा डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड
Authentication Code एलपीजी की कालाबाजारी को रोकने के लिए जल्द ही ये व्यवस्था हो जाएगी अनिवार्य। डिलीवरी मैन को ऑथेंटिकेशन कोड उपलब्ध कराने के बाद ही घर पर मिलेगा सिलिंडर। गैस कंपनियांं कर रहीं नए सिस्टम को अपनाने की तैयारी।
आगरा, अम्बुज उपाध्याय। एलपीजी की कालाबाजारी पर नकेल कसने के लिए नई व्यवस्था अनिवार्य होने जा रही है। गैस डिलीवरी के लिए कैश मीमो जारी होते समय उपभोक्ता के पंजीकृत नंबर पर डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड (डीएसी) पहुंचता है। डिलीवरी मैन को ये कोड उपलब्ध कराना होगा, जिसके बाद ही सिलिंडर उपलब्ध होगा। ये व्यवस्था जल्द ही अनिवार्य करने की प्रक्रिया चल रही है।
जिले में 9.73 लाख उपभोक्ता हैं, जिनको 84 एजेंसी सिलिंडर उपलब्ध कराती हैं। इसमें आइओसी, एचपीसी, बीपीसी सम्मिलित हैं। इन उपभोक्ताओं का हक नहीं छिने इसके लिए पेट्रोलियम मंत्रालय व्यवस्था को फूल प्रूफ करने जा रहा है। गैस बुक कराने से लेकर डिलीवरी होने तक उपभोक्ता के मोबाइल पर निरंतर मैसेज आते हैं। कैश मीमो जारी होते वक्त आने वाला नंबर सबसे महत्वपूर्ण होगा, इसे देने के बाद ही सिलिंडर मिल सकेगा। ये डीएसी नंबर पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ही जाएगा, जिससे डिलीवरी मैन के स्तर पर भी गड़बडी नहीं हो सकेगी।
पीएम उज्ज्वला योजना में था अनिवार्य
पीएम उज्ज्वला योजना के उपभोक्ताओं से डीएसी नंबर लिया जाना अनिवार्य है, लेकिन साधारण कनेक्शन के लिए इसकी बाध्यता नहीं है। इस प्रक्रिया से सिलिंडर पात्र के पास ही पहुंचेगा। ऐसे उपभोक्ताओं को मुश्किल होगी, जिनका नंबर पंजीकृत नहीं है।
कुछ वितरक अपना रहे प्रक्रिया
ऑल इंडिया इंडेन डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन आगरा संभाग अध्यक्ष विपुल पुरोहित ने बताया कि डीएसी नंबर की अनिवार्यता से पारदर्शिता आएगी। कुछ वितरकों ने अपने स्तर से प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे गड़बडी पर लगाम लगाई जा सके। पुरोहित ने बताया कि उनकी एजेंसी से जारी होने वाले कैश मीमो में से 90 फीसद द्वारा डीएसी नंबर उपलब्ध कराया जाता है। सभी को इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है।
मैसेज डिलीट हो जाए, तो हो सकता है रीसेंड
अगर किसी उपभोक्ता से मैसेज डिलीट हो जाता है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। डिलीवरी मैन मोबाइल में मौजूद एप के माध्यम से उसे पुन: उपभोक्ता के नंबर पर सेंड कर सकता है।
ये है आंकडा
जिले में कुल कनेक्शन, 9.73 लाख
जिले में कुल एजेंसी, 84