ईडीसी पर रहेगी चुप्पी तो ऐसे तो थम जाएगा शहर का विकास
आगरा महायोजना-2021 का ठीक से नहीं किया जा रहा है पालन। एडीए अफसरों की लापरवाही से अनियोजित विकास को मिलेगा बढ़ावा। बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) में हर माह करोड़ों रुपये जमा होते हैं लेकिन शहर का विकास थम गया है।
आगरा, जागरण संवाददाता। प्रदेश सरकार नियोजन और विकास कार्यों को बढ़ावा दे रही है। मकसद है कि हर क्षेत्र का विकास हो और लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए न भटकना पड़े। इसके लिए हर प्रयास किए जा रहे हैं। घर बैठे लोग शिकायतें कर सकते हैं, लेकिन जिन कंधों पर नियोजन और विकास की जिम्मेदारी है। आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) के वही अफसर इसे भूल गए हैं। बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) में हर माह करोड़ों रुपये जमा होते हैं, लेकिन शहर का विकास थम गया है। ठीक तरीके से ईडीसी खर्च न होने से लोगों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इससे लोग तहसील सदर, नगर निगम और एडीए कार्यालय के चक्कर लगाने के लिए मजबूर हैं। यहां तक कि आगरा महायोजना-2021 का ठीक तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है। एडीए अफसरों की लचर कार्यशैली के चलते अनियोजित विकास को बढ़ावा मिल रहा है।
17 हजार हैं अवैध निर्माण
एडीए के दस वार्डों में 17 हजार अवैध निर्माण हैं। हर दिन तीन से चार शिकायतें एडीए कार्यालय में पहुंचती हैं। अब तक 256 अवैध कालोनियां चिह्नित हो चुकी हैं।
संबंधित क्षेत्र में खर्च की जाएगी ईडीसी
एडीए उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि जल्द ही ईडीसी को संबंधित क्षेत्रों में खर्च किया जाएगा। इसे लेकर इसी सप्ताह बैठक बुलाई जा रही है।
शहर के प्रमुख क्षेत्रों के नाम जहां से मिला ईडीसी
सिकंदरा
वर्ष, कुल रकम
2019, नौ करोड़ रुपये
2020, सात करोड़ रुपये
25 अक्टूबर 2021 तक, साढ़े पांच करोड़ रुपये
ताजगंज
वर्ष, कुल रकम
2019, 18 करोड़ रुपये
2020, 15 करोड़ रुपये
25 अक्टूबर 2021 तक, साढ़े आठ करोड़ रुपये
शमसाबाद रोड
वर्ष, कुल रकम
2019, 20 करोड़ रुपये
2020, 19 करोड़ रुपये
25 अक्टूबर 2021 तक, 12 करोड़ रुपये
कुबेरपुर
वर्ष, कुल रकम
2019, सात करोड़ रुपये
2020, साढ़े छह करोड़ रुपये
25 अक्टूबर 2021 तक, छह करोड़ रुपये
दयालबाग
वर्ष, कुल रकम
2019, 20 करोड़ रुपये
2020, 18 करोड़ रुपये
25 अक्टूबर 2021 तक, 15 करोड़ रुपये