आगरा में अगर फसल अपशिष्ट जलाया तो देना होगा 15 हजार तक जुर्माना
धान की 30 फीसद हो चुकी कटाई किसानों को किया जा रहा जागरूक। प्रधान के सहयोग से गोशाला में अपशिष्ट पहुंचाने को किया जा रहा प्रेरित। नवंबर के महीने में यहां होती है स्मॉग की समस्या। उससे पहले ही कृषि विभाग जुट गया है।
आगरा, जागरण संवाददाता। पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन रहा है तो धान की कटाई भी शुरू हो गई है। फसल अपशिष्ट के प्रदूषण से बचाव और किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग, लेखपालों के साथ प्रधान भी जुटेंगे। प्रधानों के सहयोग से क्षेत्र पर नजर रखी जाएगी तो जगह-जगह चौपाल पर जागरूकता कार्यक्रम भी होंगे। कुछ कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है। इसके साथ ही अपशिष्ट जलाने पर लगने वाले अर्थदंड के बारे में भी बताया जाएगा।
धान की फसल खेतों में तैयार हो चुकी है तो 25 से 30 फीसद कटाई भी हो गई है। फसल अपशिष्ट को किसान जलाएं नहीं इसके लिए कृषि विभाग जुट गया है। सर्वोच्च न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण, नई दिल्ली द्वारा जारी आदेश के अनुसार फसल अपशिष्ट जलाना प्रतिबंधित है। इससे होने वाले नुकसान के प्रति किसानों को जागरूक किया जा रह है। किसानों को सुझाव दिया जा रहा है कि वे निकट की गोशाला में भी अपशिष्ट को पहुंचा सकते हैं। वहीं अगर अपशिष्ट जलाने के दोषी पाए जाने पर दो एकड़ से कम क्षेत्र वाले किसान को ढाई हजार रुपये प्रति घटना, दो से पांच एकड़ क्षेत्र वाले किसान को पांच हजार रुपये प्रति घटना और पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र वाले किसान को 15 हजार रुपये प्रति घटना अर्थदंड देना हाेगा। अगर दोष को दोहराया गया तो कारावास की सजा का भी प्रावधान है। उप निदेशक कृषि विनोद कुमार ने बताया कि कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं कि फसल कटाई के समय ध्यान दिया जाए कि जिस कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई हो रही है, उसमें सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम या स्ट्रा रेक एवं बेलर का प्रयोग अनिवार्य रूप से हो रहा हो। ऐसा नहीं होने पर यंत्र सीज करा कार्रवाई की जाएगी। मृदा में फसल अपशिष्ट जलाए जाने से जीवांश पदार्थ की मात्रा में कमी होने के साथ ही लाभदायक सूक्ष्म जीव भी नष्ट हो जाते हैं। किसान अपशिष्ट को खेत में न जलाकर प्रधान के माध्यम से उसे गोशाला में चारे के लिए भेज सकते हैं।