Badminton: कैसे बनेंगी लड़कियां साइना और पीवी सिंधु, यहां तो स्‍टेडियम में डेढ़ साल से कोच ही नहीं

आगरा में प्रतिभाएं हैं अपार लेकिन संसाधनों का अभाव। बैडमिंटन का एकलव्‍य स्टेडियम में डेढ़ वर्ष से नहीं है कोच। जिले में इंटरनेशनल टूर्नामेंट को एक भी कोर्ट नहीं। प्राइवेट एकेडमी अब धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। दूसरे देशों से करना है मुकाबला तो छोटे शहरों में बढ़ानी होंगी खेल सुविधाएं।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 08:01 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 08:01 AM (IST)
Badminton: कैसे बनेंगी लड़कियां साइना और पीवी सिंधु, यहां तो स्‍टेडियम में डेढ़ साल से कोच ही नहीं
आगरा की एक प्राइवेट एकेडमी में मौजूद बच्‍चे।

आगरा, जागरण संवाददाता। टोक्यो ओलिंपिक में बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु क्वार्टर फाइनल में पहुंच गई हैं। उनसे पदक की देश को बड़ी आस लगी हुई है। आगरा के बैडमिंटन खिलाड़ियों में भी प्रतिभा की कमी नहीं है। जरूरत उनके टैलेंट की पहचान और उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराने की है, जिससे कि वो भी देश का मान बढ़ा सकें। संसाधनों के अभाव में आगरा के बैडमिंटन खिलाड़ी नेशनल लेवल से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

आगरा में एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम में बैडमिंटन हाल बना हुआ है। यहां प्रतिदिन सुबह-शाम खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। सरकार एक ओर तो खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने की बात करती है, लेकिन स्टेडियम में पिछले सत्र से बैडमिंटन का कोच नहीं है। पिछले सत्र में कोच की तैनाती नहीं हो सकी थी। इस सत्र में बैडमिंटन कोच शुभा गुप्ता की तैनाती स्टेडियम में की गई थी, लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। स्टेडियम प्रशासन ने खेल निदेशालय को इससे अवगत करा दिया है। जिला बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष विनोद सीतलानी ने बताया कि उन्होंने चीन में गांवों में स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बने हुए देखे थे। यहां शहर में भी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स नहीं हैं। ऐसे में हम चीन की बराबरी कैसे कर सकते हैं। हमें इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने के साथ स्कूल लेवल से ही प्रतिभा संपन्न खिलाड़ियों की पहचान कर उन्हें प्रशिक्षित करना होगा। सरकार इस ओर ध्यान दे तो हम क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में भी आगे बढ़ सकेंगे।

इन सुविधाओं का है अभाव

-स्टेडियम में बैडमिंटन का कोच डेढ़ वर्ष से नहीं है।

-जिले में इंटरनेशनल लेवल का एक भी कोर्ट नहीं है।

-इंटरनेशनल टूर्नामेंट को इंडोर हाल में 12 कोर्ट और नेशनल टूर्नामेंट को आठ कोर्ट होने चाहिए।

-स्टेडियम के बैडमिंटन हाल में तीन ही कोर्ट हैं।

-खेल विभाग द्वारा खिलाड़ियों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ उन तक नहीं पहुंच पा रहा है।

शहर में हैं तीन इंडोर एकेडमियां

ताजनगरी में एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम के अलावा तीन बैडमिंटन एकेडमियों में खिलाड़ी प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। इनमें वायु विहार स्थित गायत्री बैडमिंटन एकेडमी, सिकंदरा स्थित जय अंबे एकेडमी और शमसाबाद रोड स्थित थ्राइव एकेडमी शामिल हैं। कई बच्चे ओपन में बैडमिंटन खेलते हैं, जबकि यह इंडाेर गेम्स है।

पहले करें मदद तो खिलाड़ी जीतें पदक

उप्र में चाैथी रैंकिंग रखने वाली सात बार की जिला चैंपियन राधा ठाकुर कहती हैं कि आगरा में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। यहां सुविधाओं का अभाव है। कोच के अभाव में खिलाड़ी स्वयं अभ्यास करते हैं। एशियन गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स और ओलिंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकार पुरस्कार राशि देती है। सरकार यदि खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचानकर उनकी सहायता करे और उन्हें प्रोत्साहन राशि दे तो वो पदकों की झड़ी लगा देंगे।

खिलाड़ियाें का दर्द

स्टेडियम में डेढ़ वर्ष से कोई कोच नहीं है। खिलाड़ी अपने अाप अभ्यास करते हैं। उन्हें मार्गदर्शन व सही प्रशिक्षण देने वाला कोई कोच नहीं होने से वो यह नहीं जान पाते कि अपनी कमियों को कैसे दूर करें।

-सचिन भारद्वाज, खिलाड़ी

आगरा में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं है। खिलाड़ी की राह में बाधाएं कितनी भी हों, अगर उसे सुविधाएं आैर सही प्रशिक्षण दिया जाए तो वो भी चीन के खिलाड़ियों की तरह पदक जीत सकते हैं।

-दिव्यांशी गौतम, खिलाड़ी

स्टेडियम में कोच की तैनाती शीघ्र होनी चाहिए। स्कूल के लेवल पर ही खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचानकर उन्हें उचित प्रशिक्षण दिलाया जाए। खेलों के प्रति माहौल सुधरे तो खिलाड़ी भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।

-बबिता, खिलाड़ी

स्कूल व जिला स्तर पर टूर्नामेंट का आयोजन अधिक से अधिक होना चाहिए। इससे खिलाड़ी उभरकर सामने आएंगे। अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को चिह्नित कर सरकार को उन्हें प्रशिक्षण दिलाना चाहिए।

-हर्षिता, खिलाड़ी

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