बीएसयूपी में बने गरीबों के मकानों की तीन बार हुई आगरा में जांच, कार्रवाई शून्य

आइआइटी रुड़की ने की है जांच अब तक तीन करोड़ रुपये हो चुके हैं खर्च। 125 करोड़ में अभी तक 89 करोड़ रुपये ठेकेदारों को हो चुका है भुगतान। जांच में 3264 मकान कंडम मिले हैं। जिन मकानों के कालम और बीम में क्रैक आया। उसकी मरम्मत कर दी गई।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 09:20 AM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 09:20 AM (IST)
बीएसयूपी में बने गरीबों के मकानों की तीन बार हुई आगरा में जांच, कार्रवाई शून्य
आगरा में नरायच में बनाए गए बीएसयूपी योजना के अंतर्गत मकान कंडम हालत में पहुंच गए हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। बेसिक फार अरबन पुअर (बीएसयूपी) योजना में नरायच क्षेत्र में बने 3640 मकानों की तीन बार जांच हो चुकी है। यह जांच इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (आइआइटी) रुड़की ने की है। तीन जांच में 3264 मकान कंडम मिले हैं। जांच में तीन करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) के किसी भी अफसर और इंजीनियर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यहां तक जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) ने एडीए को 127 करोड़ रुपये में 125 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। एडीए ने ठेकेदारों को अब तक 89 करोड़ रुपये के भुगतान किए हैं।

यह है जांच रिपोर्ट

नरायच में बने गरीबों के मकानों में भ्रष्टाचार की पोल वर्ष 2012 से खुलनी शुरू हो गई थी लेकिन एडीए अफसरों और इंजीनियरों ने इसे दबा दिया। यहां तक शिकायतों को नजरअंदाज किया गया। जिन मकानों के कालम और बीम में क्रैक आया। उसकी मरम्मत कर दी गई। मरम्मत कार्य अधिक दिनों तक नहीं टिका। इसके चलते वर्ष 2016 में पहली बार आइटीआइ रुड़की की टीम को जांच की संस्तुति की गई। पहली बार टीम ने जांच की तो पाया कि जिस स्थल पर मकान बनाए गए हैं। वहां सीलन अधिक है। इसी के चलते बीम में क्रैक आ गया है। शुरुआत में यह माना जा रहा था कि कुछ ही मकानों में यह समस्या थी लेकिन जांच के बाद 45 फीसद निकली। जांच रिपोर्ट आने के बाद एडीए अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक जांच को दबा दिया गया। दूसरी बार 2018 में आइआइटी रुड़की की टीम ने जांच की। इस जांच में बीम और कालम में क्रैक मिला। यह समस्या 65 फीसद मकानों में मिली। दूसरी रिपोर्ट में भी किसी भी अफसर और इंजीनियर को दोषी नहीं माना गया। न ही कोई भी कार्रवाई की संस्तुति शासन को की गई। वर्ष 2019 में तत्कालीन एडीए उपाध्यक्ष देवेंद्र कुशवाहा ने जांच की संस्तुति की। इसकी रिपोर्ट अक्टूबर 2021 में आई है। इसमें 3264 मकानों पूरी तरह से कंडम मिले हैं। बीम और कालम क्रैक मिले हैं।

गरीबों के मकानों में गड़बड़ी करने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। दोषी अफसरों को जल्द चिन्हित किया जाना चाहिए।

धर्मवीर सिंह, पार्षद रिंग रोड

गरीबों के मकान के निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया है। करोड़ों रुपये का गबन हुआ है। मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।

बंटी माहौर, पार्षद राजनगर

नरायच में बने मकान बिना कब्जा दिए ही कंडम हो गए हैं। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

मुकेश यादव, पूर्व पार्षद गैलाना

गरीबों के साथ छल किया गया है। अभी तक मकानों का निर्माण पूरा नहीं हुआ है।

जरीना बेगम, पार्षद ख्वासपुरा

बीएसयूपी योजना में नरायच में बने मकानों की जांच आइआइटी रुड़की ने की है। जांच की रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है।

डा. राजेंद्र पैंसिया, उपाध्यक्ष एडीए

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