Kartik Purnima 2020: इन दो विशेष योग में होगा कार्तिक पूर्णिमा स्नान, जानिए क्यों करते हैं इस दिन दीपदान
Kartik Purnima 2020 कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पूरे वर्ष का स्नान करने का फल मिलता है। परन्तु यदि हम गंगा स्नान नही कर सकते तो नहाने के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं ।
आगरा, जागरण संवाददाता। हिंदू धर्म में पूर्णिमा महत्वपूर्ण स्थान रखती है प्रत्येक वर्ष में 12 पूर्णिमा आती हैं लेकिन जब अधिक मास या मलमास आता है तो इनकी संख्या 13 हो जाती है। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पूरे वर्ष का स्नान करने का फल मिलता है। परन्तु यदि हम गंगा स्नान नही कर सकते तो नहाने के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं आगामी 30 नवंबर को रोहिणी नक्षत्र के साथ सर्वसिद्धि योग एवं वर्धमान योग का संयोग होने से इस पूर्णिमा का शुभ योग बन रहा है। इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी का 551वां जन्मदिन भी मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि की शुरूआत 29 नवंबर को दोपहर 12:47 से प्रारंभ होकर 30 नवंबर को दोपहर 2:59 तक रहेगी। इसी दिन कार्तिक स्नान का समापन भी होगा।
कार्तिक पूर्णिमा क्यों है खास
कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु चतुर्मास के बाद जागृत अवस्था में होते हैं भगवान विष्णु ने इसी तिथि को मत्स्य अवतार लिया था और मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की फिर से रचना की थी। राक्षस त्रिपुरासुर का संघार किया था। त्रिपुरासुर वध को लेकर देवताओं ने मनाई थी इस दिन देव दीपावली, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी का जन्मदिन के साथ ही इस दिन तुलसी का अवतरण कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था।
कार्तिक पूर्णिमा दीप दान करने से होंगी मां लक्ष्मी प्रसन्न
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के समीप तथा तालाब में सरोवर में गंगा तट पर दीप जलाने से अथवा दीप दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। वही विष्णु को तुलसी पत्र की माला और गुलाब का फूल चढ़ाने से मन की सारी मुरादें पूरी होती हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर तिल स्नान से मिलेगी शनि दोषों में राहत
कार्तिक पूर्णिमा पर तिल जल में डालकर स्नान करने से शनि दोष समाप्त होंगे खासकर शनि की साढ़ेसाती वही कुंडली में पितर दोष चांडाल दोष नदी दोष की स्थिति यदि है तो उसमें भी शीघ्र लाभ होगा। कार्तिक पूर्णिमा पर अक्षत यानि चावल, जौ , काले तिल, मौसमी फल, लौकी में छिपाकर सिक्का दान देना शुभ माना गया है।
व्रत विधि
कार्तिक पूर्णिमा का व्रत करने से एक दिन पहले प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा का व्रत फल, दूध और हल्के सात्विक भोजन के साथ किया जाता है। यदि आप बूढ़े, बीमार या गर्भवती हैं, तो आपको यह 'निर्जला' व्रत करने की सलाह नहीं दी जाती।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन करें दीप दान
कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीप दान का भी विशेष महत्व है। देवताओं की दिवाली होने के कारण इस दिन देवताओं को दीप दान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि दीप दान करने पर जीवन में आने वाले परेशानियां दूर होती है।
देव दीपावली की कथा
देव दीपावली की कथा महर्षि विश्वामित्र से जुड़ी है। मान्यता है कि एक बार विश्वामित्र जी ने देवताओं की सत्ता को चुनौती दे दी। उन्होंने अपने तप के बल से त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेज दिया। यह देखकर देवता अचंभित रह गए। विश्वामित्र जी ने ऐसा करके उनको एक प्रकार से चुनौती दे दी थी इस पर देवता त्रिशंकु को वापस पृथ्वी पर भेजने लगे, जिसे विश्वामित्र ने अपना अपमान समझा। उनको यह हार स्वीकार नहीं थी। तब उन्होंने अपने तपोबल से उसे हवा में ही रोक दिया और नई स्वर्ग तथा सृष्टि की रचना प्रारंभ कर दी। इससे देवता भयभीत हो गए। उन्होंने अपनी गलती की क्षमायाचना तथा विश्वामित्र को मनाने के लिए उनकी स्तुति प्रारंभ कर दी। अंतत: देवता सफल हुए और विश्वामित्र उनकी प्रार्थना से प्रसन्न हो गए। उन्होंने दूसरे स्वर्ग और सृष्टि की रचना बंद कर दी। इससे सभी देवता प्रसन्न हुए और उस दिन उन्होंने दिवाली मनाई, जिसे देव दीपावली कहा गया।