जमाखोरी का खेल, महंगा कर रहा सरसों का तेल

एक महीने में दोगुनी हुई कीमत सोयाबीन व सूरजमुखी तेल के दाम भी खूब बढ़े

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 05:20 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 05:20 AM (IST)
जमाखोरी का खेल, महंगा कर रहा सरसों का तेल
जमाखोरी का खेल, महंगा कर रहा सरसों का तेल

आगरा, जागरण संवाददाता। एक तो कोरोना का ़खतरा, दूसरी गर्मी और ऊपर से बढ़ती महंगाई ने ताजनगरी वासियों की समस्या और बढ़ा दी है। पहले से ही पेट्रोल-डीजल के दाम में आई तेजी से परेशान लोगों को अब सरसों तेल की चढ़ती कीमतों ने परेशान कर दिया है। ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि जब सरसों तेल के दाम एक महीने में ही 90 रुपये से बढ़कर 190 रुपए के पार गए हैं। सरसों की जमाखोरी दाम बढ़ने के पीछे बड़ी वजह माना जा रहा है। बहरहाल, सरसों के तेल के साथ-साथ मूंगफली व सूरजमुखी तेल के दाम भी खूब बढ़े हैं।

आगरा में 66 हजार हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन होता है पर मांग अधिक होने के कारण यहां की प्रमुख कागारौल व किरावली मंडी में हरियाणा व राजस्थान से बड़ी मात्रा में सरसों की आवक होती है। रोज करीब 500 टन सरसों का तेल उत्पादन करने वाली आगरा आयल मिल, बीपी आयल मिल, शारदा आयल मिल व महेश आयल मिल सीधे हरियाणा व राजस्थान मंडी से सरसों क्रय करते हैं। जनपद में छह ओर आयल मिल के अलावा 200 से अधिक स्प्रेलर है, जिनके द्वारा रोज करीब 100 टन तेल का उत्पादन किया जाता है। कागारौल स्थित मंडी व किरावली मंडी में रोज करीब 1500 क्विटल सरसों की आवक होती है। सरसों खरीदने का क्रय केंद्र नहीं है। इसलिए इसका समर्थन मूल्य भी नहीं है। जो फसल आती है उसे नीलामी से बेचते हैं। किरावली में सरसों की लैब में जांच होती है। तेल के आधार पर उस सरसों के दाम निर्धारित होते है। सोमवार को इन मंडियों में 6800 रुपये क्विटल तक सरसों की नीलामी लगी, जो एक महीना पहले यानी 18 अप्रैल को 3900 रुपये में बिकी थी। एक महीने में ही सरसो के दाम मे करीब 2900 रुपये प्रति क्विटल की बढ़ोत्तरी हुई है। इस पर जीएसटी और मंडी शुल्क अलग से लगता है। यही वजह है कि सरसों की आवक मंडी में कम हो रही है। क्योंकि किसानों से व्यापारियों ने सीधे फसल खरीदना प्रारंभ कर दिया है। यहां मंडी शुल्क से 100-200 सौ रुपये अधिक देकर फसल खरीदी जाती है तो जीएसटी और मंडी शुल्क बच जाता है। वहीं, किसानों को हाथोंहाथ रकम मिलती है तो सहूलियत के लिए वह भी सीधे फसल बेच देते हैं। ऐसे में थोड़ी बहुत फसल मंडी में पहुंचती है तो नीलामी में उसकी बोली अधिक लग जाती है। यहां नीलामी में फसल अधिक महंगी बिकती है तो बाजार में भी वही भाव स्थिर हो जाते हैं। कुल मिलाकर कुछ व्यापारियों ने फसल की जमाखोरी कर ली तो बाजार में सरसों पहुंच नहीं रही है। कम फसल आवक के चलते सरसों का तेल महंगी बिक रही है।

ये है सरसों का तेल महंगा होने का गणित

शहर के प्रतिष्ठित कारोबारी ने बताया कि मंडियों में 6800 से लेकर 7100 रुपये क्विटल के हिसाब से सरसों की फसल बिक रही है। इस पर छह प्रतिशत जीएसटी और एक प्रतिशत मंडी शुल्क अलग से लगता है। अगर एक क्विटल सरसों की फसल का तेल निकाला जाए तो 33 किलो तेल निकलता है। दो किलो खल जल जाती है। ऐसे में 65 किलो खल बचती है। थोक के रेट में 170 रुपये किलो तेल बिक रहा है। इस हिसाब से 33 किलो तेल की कीमत 5610 रुपये बनती है। वहीं, 65 किलो खल 30 रुपये किलो के हिसाब से 1950 रुपये का बिक रहा है। पेराई 250 रुपये क्विटल है। जबकि लोडिग-अनलोडिग में पांच रुपये किलो का चार्ज लग जाता है। ट्रांसपोर्ट का खर्च अलग से है। यही वजह है कि बाजार में सरसों का तेल महंगा बिक रहा है। कोरोना संक्रमण से पहले वर्ष 2020 में यही फसल 3100 रुपये क्विटल बिक रही थी। फुटकर में तो अब सरसों का तेल 190-200 रुपये किलो तक बिक रहा है।

खाद्य तेल के दाम अंतराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रहे हैं। पिछले एक साल में पेट्रोल-डीजल के दाम भी काफी बढ़ गए हैं। इससे परिवहन का खर्च बढ़ा है। खाद्य तेलों के मामले में भारत अपनी आधी से लेकर तीन-चौथाई तक जरूरत विदेश से आने वाले कच्चे खाद्य तेल से पूरी करता है। भारत में खाद्य तेल की मांग का बहुत कम हिस्सा घरेलू आपूर्ति से पूरा हो पाता है। रिफाइंड तेल में मिलाए जाने वाले कई जरूरी रसायनों की आपूर्ति प्रभावित होने से भी दामों में इजाफा हुआ है।

- केके गोयल प्रबंध निदेशक आगरा आयल मिल भारत सहित कई देशों में सोयाबीन उत्पादन में कमी हुई है। मांग-आपूर्ति का गणित बिगड़ने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमत में इजाफा हुआ है।

- मोहन गोयल थोक सरसों कारोबारी खेरागढ़

कोरोना के चलते तेल का आयात बंद हो गया है, जिस कारण खाद्य तेल की कीमत बढ़ी है। पहले आयात शुल्क 20 फीसद था। इधर, कर 45 से 54 फीसद कर दिया गया है। इस कारण तेल महंगा हो गया है।

-दिनेश चंद थोक व्यापारी किरावली तेल की कीमत (18 अप्रैल तक)

सरसों तेल प्रति किलो-100 से 110 रुपये

रिफाइंड- 120 से 140

जार रिफाइंड -15 किलो-1990 से 2260

जार, सरसों तेल, 15 किलो 1550

तेल की कीमत (18 मई से)

सरसों तेल प्रति किलो- 190 रुपये

रिफाइंड- 150 से 160

जार रिफाइंड -15 किलो-2325 से 2500

जार, सरसों तेल, 15 किलो 2550 से 2750

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