Braille Signage at Taj: ताजमहल पर स्पर्श के अहसास से जान सकते हैं इतिहास, दिव्‍यांगों के लिए हुई थी ये पहल

ताजमहल समेत अन्य स्मारकों में लगे हुए हैं ब्रेल साइनेज। स्मारकों को दिव्यांगों के अनुकूल बनवाने को लगवाए गए थे। ताजमहल में लगा ब्रेल साइनेज उसकी स्थापत्य कला और इतिहास से जुड़ी हर जानकारी मुहैया कराता है। वर्ष 2014 में की गई थी ये शुरुआत।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 04 Jan 2021 11:50 AM (IST) Updated:Mon, 04 Jan 2021 11:50 AM (IST)
Braille Signage at Taj: ताजमहल पर स्पर्श के अहसास से जान सकते हैं इतिहास, दिव्‍यांगों के लिए हुई थी ये पहल
ताजमहल परिसर में लगा ब्रेल लिपि का साइन बोर्ड।

आगरा, जागरण संवाददाता। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल की सुंदरता को वो आंखों से नहीं देख सकते हैं तो क्या, स्पर्श के अहसास से संगमरमरी शाहंकार के बारे में वो हर बात जान सकते हैं। ताजमहल में लगा ब्रेल साइनेज ना केवल शहंशाह शाहजहां द्वारा मुमताज की याद में ताज की तामीर कराने की दास्तां बताता है, बल्कि उसकी स्थापत्य कला और इतिहास से जुड़ी हर जानकारी मुहैया कराता है।

अंधेरी दुनिया में ज्ञान की रोशनी फैलाने वाले फ्रांसीसी शिक्षाविद लुई ब्रेल के जन्मदिन पर प्रतिवर्ष चार जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है। आगरा में ताजमहल समेत अन्य स्मारकों में ब्रेल लिपि के साइनेज लगे हैं। ताजमहल में फोरकोर्ट में रायल गेट के पास ब्रेल लिपि का साइनेज लगा है। ताजमहल आने वाले ऐसे दृष्टि दिव्यांग जो ब्रेल लिपि पढ़ने में सक्षम हैं, वो इस साइनेज से स्पर्श के अहसास से ताजमहल का पूरा इतिहास जान सकते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा सामान्य पर्यटकों के लिए लगाए गए कल्चरल नोटिस बोर्ड में जो जानकारी स्मारक में दी गई है, वही ब्रेल लिपि के साइनेज में उपलब्ध है।

अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि वर्ष 2014 में विश्व धरोहरों को दृष्टि दिव्यांग पर्यटकों के अनुकूल बनाने को ब्रेल लिपि के साइनेज लगाने की शुरुआत की गई थी।

ताजमहल से हुई थी शुरुआत

स्मारकों को दृष्टि दिव्यांग लाेगों के अनुकूल बनाने की शुरुआत वर्ष 2014 में हुई थी। तब ताजमहल के फोरकोर्ट में रायल गेट के पास ब्रेल लिपि का साइनेज लगाया गया था। इसका उद्घाटन भी दृष्टि दिव्यांग लाेगों ने किया था। आगरा किला, फतेहपुर सीकरी, सिकंदरा, एत्माद्दौला में भी ब्रेल साइनेज लगे हुए हैं।

समय-समय पर किए गए काम

स्मारकों को दिव्यांगों के अनुकूल बनाने को समय-समय पर काम किए गए हैं। स्मारकों में पहले लकड़ी के रैंप बनाए गए थे, जिससे उन्हें सीढ़ियां उतरने-चढ़ने में परेशानी नहीं हो। बाद में लकड़ी की बजाय लोहे के फ्रेम व रेड सैंड स्टोन के रैंप बनाए गए थे। स्मारकों में एएसआइ द्वारा दिव्यांग पर्यटकों को व्हीलचेयर भी निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। 

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