ब्रेल लिपि दिवस विशेष: हुनर की बांसुरी में जीवन का साज Agra News

संगीत सीख नेत्रहीन हरिनाम संकीर्तन में डूबे। परिक्रमा मार्ग पर भगवत भजन से चला रहे आजीविका।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sat, 04 Jan 2020 05:10 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jan 2020 05:10 PM (IST)
ब्रेल लिपि दिवस विशेष: हुनर की बांसुरी में जीवन का साज Agra News
ब्रेल लिपि दिवस विशेष: हुनर की बांसुरी में जीवन का साज Agra News

आगरा, रसिक शर्मा। उनकी जिंदगी बेरंग थी, लेकिन हुनर ने जीवन में जो रंग भरे, उससे दुनिया रंगीन हो गई। ईश्वर ने आंखें नहीं दी, तो दुनिया वीरान थी, लेकिन हुनरमंदों ने ऐसी बांसुरी बजाई कि उससे जीवन का साज गूंजा। नेत्रहीनों की मदद कर रहा है श्री गिरिराज गोवर्धन अंध विद्यालय।

गोवर्धन और जतीपुर के बीच स्थित श्री गिरिराज गोवर्धन अंध विद्यालय में 16 लोग अध्ययनरत हैं। कोई मध्य प्रदेश का है, कोई राजस्थान का। कोई गुजरात का रहने वाला है। बचपन में ही इनकी आंखों की रोशनी चली गई तो परिवार से भी तिरस्कृत सा हो गए। इनके परिजनों ने इन्हें स्कूल में पढऩे को छोड़ दिया। स्कूल में ब्रेल लिपि से पढ़ाई तो की ही, लेकिन संगीत भी सीखा। भले ही एक आंखों से देख नहीं पाते लेकिन हरिनाम संकीर्तन पर किसी के हाथ ढोलक पर थाप देते हैं, तो कोई हारमोनियम पर संगत देता है।

परिक्रमा मार्ग पर जतीपुरा-गोवर्धन, गोवर्धन-राधाकुंड, गोवर्धन-आन्यौर के बीच हवाओं में मिठास घोलता संगीतमय हरिनाम संकीर्तन बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। सुरों में सराबोर भक्त सहायता को भी हाथ बढ़ाते हैं। श्रद्धा से मिली दान की राशि से ही इन दिव्यांगों का जीवन यापन हो रहा है। मध्यप्रदेश के सागर जिले के अनिल कहते हैं कि उनकी ब्रेल लिपि से पढ़ाई की है। लेकिन ये शिक्षा उन्हें नौकरी नहीं दिला सकी। इस स्कूल में इन्हें संगीत की शिक्षा मिली। भिंड निवासी रामदास का कहना है कि अंधता का अभिशाप दूर करने के लिए वह गोवर्धन आ गए। यहां आकर संगीत की ज्योति से जीवन का अंधेरा दूर कर रहे हैं। कोलकाता निवासी जीवन ने बताया कि उनकी आजीविका श्रद्धालुओं के आवागमन पर टिकी है। फिलहाल संगीत का अध्यापक नहीं है। अगर अध्यापक मिल जाए, तो उन्हें भक्ति के साथ हुनर भी मिल जाएगा। जयपुर के ज्ञानचंद कहते हैं कि वह संगीत और भक्ति के माध्यम से गुजारा कर रहे हैं। विद्यालय के संचालक भोपाल कहते हैं कि यहां दिव्यांगों को संगीत की शिक्षा दी गई है। उन्हें स्वावलंबी बनाया गया, ताकि वह प्रभु की धरा पर हरिनाम संकीर्तन से अपनी जिंदगी का अंधेरा दूर सकें।  

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