काम न होने से रोजी-रोटी का संकट

कोरोना काल में 13 माह से प्रभावित है हैंडीक्राफ्ट्स कारोबार स्मारक बंद होने के बाद बंद हो गए हैं एंपोरियम और शोरूम

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Apr 2021 10:00 PM (IST) Updated:Wed, 28 Apr 2021 10:00 PM (IST)
काम न होने से रोजी-रोटी का संकट
काम न होने से रोजी-रोटी का संकट

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना की दूसरी लहर में स्मारकों के बंद होने के बाद हैंडीक्राफ्ट्स कारोबार से जुड़े लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। स्मारकों की बंदी के बाद एक बार फिर शोरूम और एंपोरियम पर ताले लटक गए हैं। इससे हैंडीक्राफ्ट्स आइटम बनाने वाले हुनरमंदों के समक्ष भी आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।

आगरा में कोरोना काल से पूर्व हैंडीक्राफ्ट्स कारोबार निर्यात समेत करीब 2500 करोड़ रुपये का हुआ करता था। इसमें मार्बल, जरदोजी और वुड हैंडीक्राफ्ट्स शामिल हैं, लेकिन मार्बल का काम अधिक होता है। पिछले वर्ष 17 मार्च से 20 सितंबर तक 188 दिनों की रिकार्ड ताजमहल की बंदी ने हैंडीक्राफ्ट्स कारोबार को जोर का झटका दिया था। 21 सितंबर को ताजमहल जरूर खुला, लेकिन विदेशी पर्यटकों के नहीं आने की वजह से हैंडीक्राफ्ट्स कारोबार उबर नहीं सका था। विदेशी पर्यटक, भारतीयों की अपेक्षा अधिक हैंडीक्राफ्ट्स का सामान खरीदते हैं। 16 अप्रैल से एक बार फिर स्मारक बंद हो गए। इसके साथ ही हैंडीक्राफ्ट्स कारोबार से जुड़े लोगों के समक्ष संकट खड़ा हो गया। 21 सितंबर, 2020 से 15 अप्रैल, 2021 तक जब स्मारक खुले हुए थे, तब ताजमहल के माडलों की बिक्री होने से हुनरमंद कारीगरों को काम भी मिल रहा था। अब एक बार फिर काम मिलना बंद होने से उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट है।

हैंडीक्राफ्ट्स के सामान की खरीद पर्यटकों द्वारा अधिक की जाती है। भारतीय की अपेक्षा विदेशी पर्यटक अधिक हैंडीक्राफ्ट्स खरीदते हैं। 13 माह से विदेशी पर्यटक नहीं आए हैं। अब स्मारक बंद होने से शोरूम व एंपोरियम पूरी तरह बंद हो चुके हैं।

-सुनील कुमार, शोरूम संचालक स्मारक बंद होने के साथ ही ताजमहल के माडल बनाने के आर्डर मिलना बंद हो गए हैं। सभी कारीगर खाली बैठे हैं। स्मारक 15 मई तक बंद हैं, लेकिन देश के वर्तमान हालात को देखते हुए यह जल्दी खुलते नजर नहीं आ रहे हैं।

-लकी वर्मा, कारखाना संचालक

हैंडीक्राफ्ट्स कारोबार: एक नजर

-आगरा में करीब 2500 करोड़ रुपये का हैंडीक्राफ्ट्स कारोबार है, जिसमें करीब एक हजार करोड़ रुपये का निर्यात है।

-ताज के माडल बनाने का प्रमुख केंद्र गोकुलपुरा है।

-शहर में करीब 150 छोटे-बड़े कारखाने हैं।

-500 के करीब दुकानें, शोरूम व एंपोरियम हैं।

-करीब 70 हजार लोग हैंडीक्राफ्ट्स कारोबार पर आश्रित हैं।

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