Guru Purnima 2020: आगरा के इस मंदिर की अनूठी परंपरा, गुरु को समर्पित कर दिए जाते हैं यहां बच्‍चे

Guru Purnima 2020 सोमनाथ धाम में गुरु की परंपरा को सौंपते हैं बच्चे। चार बच्चे साधना की राह पर।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 02:29 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 02:29 PM (IST)
Guru Purnima 2020: आगरा के इस मंदिर की अनूठी परंपरा, गुरु को समर्पित कर दिए जाते हैं यहां बच्‍चे
Guru Purnima 2020: आगरा के इस मंदिर की अनूठी परंपरा, गुरु को समर्पित कर दिए जाते हैं यहां बच्‍चे

आगरा, आदर्श नंदन गुप्त। सोमनाथ धाम, शाहगंज एक एसी गद्दी है, जहां मनौती पूरी होने के बाद श्रद्धालु अपने बच्चों को समर्पित कर देते हैं। एसे चार बच्चे यहां गुरु बनने की राह पर हैं।

नाथ संप्रदाय का प्रमुख मंदिर है सोमनाथ धाम, जिसके अधिष्ठाता डा.शंकरनाथ योगी हैं। इस धाम धार्मिक आयोजन, हवन आदि अनुष्ठान निरंतर किए जाते हैं। मानव सेवा भी यहां से की जाती है। ये संत ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सेवा कार्य करते हैं। बहुत से लोग यहां मनौती मांगने आते हैं। पूरी होने के बाद वे कुछ न कुछ अर्पण करते हैं। जिनकी मनौती पूरी हो जाए और उनके पर तीन, चार बच्चे होते हैं तो उनमें से एक बच्चे को धार्मिक कार्य के लिए समर्पित कर देते हैं। ताकि नाथ संप्रदाय की परंपरा बनी रहे।

यहां इन दिनों चार बाल संतों को नाथ परंपरा से जोड़ा जा रहा है। ये बाल संत मनीषनाथ (जयपुर), विश्वनाथ (आगरा), रुद्रनाथ (आगरा), जहाजनाथ (अहमदाबाद) हैं। जिन्हें इनके परिजन तीन-चार महीने की आयु में ही मंदिर में सौंप गए थे। शुरुआत में बच्चों का पालन भक्तों से कराया गया, क्योंकि शिशुओं की देखभाल मंदिर में नहीं हो सकती। पांच साल की उम्र के बाद इन्हें सोमनाथ धाम लाया गया। जहां उनकी विद्यालयी शिक्षा साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा दी गई। जहाजनाथ और रुद्रनाथ को हरिद्वार के गुरुकुल में भी संस्कृत और धार्मिक शिक्षा दिलाई जा चुकी है। अब इन्हें नाथ संप्रदाय की पूजा पद्धति, योग-आसन आदि का प्रशिक्षण डा. शंकरनाथ योगी द्वारा दिया जा रहा है।

साधना की ओर अग्रसर

24 वर्षीय जहाजनाथ आध्यात्मिक शिक्षा के साथ-साथ अब बीएएमएस की शिक्षा भी ग्रहण कर रहे हैं । वहीं 23 वर्षीय रुद्रनाथ की रुचि ज्योतिष में भी है। 15 साल के विश्वनाथ गायत्री पब्लिक स्कूल में कक्षा नौ के छात्र हैं। मनीष नाथ (11 साल), ब्राइट लैंड में कक्षा तीन में पढ़ रहे हैं। इन सभी को सुबह ध्यान, योग कराया जाता है। प्रतिदिन हवन करना होता है। दवा आदि का वितरण व ज्योतिष के आधार पर लोगों के संकटों का निवारण भी ये सभी मिल कर करते हैं।

आगरा में है नाथ संप्रदाय का विशेष प्रभाव

शहर में नाथ संप्रदाय का पहले काफी प्रभाव था। मठाधीश डा. शंकरनाथ योगी ने बताया कि किसी जमाने में 365 स्थान इस संप्रदाय के थे। अब कुछ मंदिर ही रह गए हैं।

संप्रदाय से जुड़े हैं ये कुछ खास मंदिर

- दरियानाथ मंदिर, राजामंडी

- चिंताहरण मंदिर, प्रतापनगर

- लालनाथ की बगीची, नामंनेर

- ताल मंगलेश्वर, बल्काबस्ती

- भैरों मंदिर, पचकुइयां

- भैरों मंदिर, बेलनगंज

- पंच भैरों, पचकुइआं

- काल भैरों, श्मशान घाट, ताजगंज

- प्राचीन मनःकामेश्वर मंदिर, माईथान

- आनंदी भैरों मंदिर, मउ रोड

- हंसना भैरों, वजीरपुरा

इसके अलावा शीतला गली, गुड़ की मंडी आदि क्षेत्रें में भी इनके मंदिर हैं। 

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