कान्हा की धरती पर राधा की गोद का जोर

मातृ छाया न्यास से 11 सालों में 152 बचे लिए गए गोद बिचयों का आंकड़ा ज्यादा -राजकीय शिशु एवं बाल गृह से भी गोद लेने वालों में बेटियों की संख्या अधिक

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 10:00 AM (IST) Updated:Fri, 22 Nov 2019 10:00 AM (IST)
कान्हा की धरती पर राधा की गोद का जोर
कान्हा की धरती पर राधा की गोद का जोर

जागरण संवाददाता, आगरा: जिस समाज में आज भी लड़कियों को पैदा होते ही कूड़े या नाली में फेंक दिया जाता है, वहां नया सुखद ट्रेंड दिख रहा है। गोद लेने के मामले में दंपती लड़कियों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। ताजनगरी के मातृ छाया न्यास से पिछले 11 सालों में 152 बच्चे गोद लिए गए, जिनमें बच्चियों की संख्या 90 प्रतिशत है। इसी तरह राजकीय शिशु एवं बाल गृह से भी गोद लेने वालों में लड़कियों की संख्या अधिक है। मातृ छाया न्यास और राजकीय शिशु गृह में ज्यादातर आती हैं बच्चियां

आगरा व आसपास के क्षेत्र में जब भी कोई बच्ची मिलती है तो उसे मातृ छाया न्यास या राजकीय शिशु गृह भेजा जाता है। गांधी नगर स्थित मातृ छाया न्यास के बाहर एक पालना टांगा गया है। यहां अक्सर रात के समय लोग बच्चियों को पालने में रख जाते हैं। जाने से पहले घंटा बजा जाते हैं, जिससे न्यास के पदाधिकारी आकर उस बच्ची को ले जाएं।

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क्या है मातृ छाया न्यास?

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक भाग के रूप में 1997-98 से काम कर रहा है। इसे शुरू करने के पीछे संघ का उद्देश्य ऐसे बच्चों को आश्रय देना है, जो सड़कों या अन्य किसी जगह मिलते हैं। इन बच्चों का कई बार शोषण भी होता है। इन बच्चों को रहने के लिए छत मिले, परिवार मिले और समाज में उनका स्थान मिले। पिछले 11 सालों में यहां से 152 बच्चों को गोद दिया गया है। इनमें बच्चियों की संख्या 90 प्रतिशत है। रेल पटरी और कुओं से भी मिलते हैं बच्चे

न्यास में आने वाले हर बच्चे की अपनी एक कहानी है। पिछले दिनों मलपुरा के एक 60-70 फीट गहरे कुंए से एक बच्चे को निकाला गया था। आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन के पास एक बच्ची पटरियों के पास मिली थी। कूड़े के ढेर से एक बच्ची को लाया गया था। एक बार एक बच्ची यमुना पार क्षेत्र में एक नाली में मिली थी। अभी भी हैं सात बच्चे

मातृ छाया न्यास में अभी भी सात बच्चे हैं, जिनमें से पांच को गोद दिया जाएगा। दो बच्चियों को गोद नहीं दिया जाएगा क्योंकि एक के दिल में छेद है और दूसरी बच्ची की आंख में समस्या है। जांचा जाता है दंपत्ति का इतिहास

मातृ छाया कमेटी में 11 सदस्य हैं। गोद लेने की एक पूरी प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया के तहत पहले आवेदन लिए जाते हैं। उसके बाद दंपत्तियों को साक्षात्कार लिया जाता है। इसमें गोद लेने आए माता-पिता की योग्यता देखी जाती है, जीवनशैली क्या है, वे शिक्षित हैं या नहीं आदि बातों की गंभीरता से जांच की जाती है। हिदू अधिनियम गोद के तहत बच्चे को गोद दिया जाता है। आवेदन प्रक्रिया के तहत आवेदनकत्र्ता की उम्र भी देखी जाती है। इनकम टैक्स, प्रॉपर्टी, मेडिकल रिपोर्ट, एनओसी आदि के कागज जमा कराए जाते हैं। आवेदनकत्र्ता भी करा सकते हैं बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण

मातृ छाया न्यास के सचिव राधा किशन बताते हैं कि हम हर उस आवेदनकत्र्ता को बच्चा गोद देने से पहले स्वास्थ्य परीक्षण की जानकारी दे देते हैं। माता-पिता पहले बच्चे का मेडिकल करा लें, संतुष्ट हो जाएं फिर गोद लें। जिनके बच्चे नहीं, उनको वरीयता

कमेटी गोद लेने से पहले साक्षात्कार लेती है। इस साक्षात्कार कमेटी की हैड रीना सिंह बताती हैं कि हमारे पास ऐसे भी माता-पिता आते हैं, जिनके पास एक बेटा या बेटी होती है। लेकिन हमारी प्राथमिकता ऐसे दंपत्ति होते हैं, जो किसी कारणवश माता-पिता नहीं बन पाए हैं। विदेशी दंपती भी बेटियों को ले रहे गोद

राजकीय शिशु गृह से विदेशी दंपती भी बेटियों को गोद लेने में ज्यादा रूचि दिखाते हैं। इसका प्रमुख कारण भारतीय बच्चों विशेषकर बेटियों का संस्कारवान होना है। वृद्ध अभिभावकों के प्रति बच्चों का सेवा भाव और लगाव होना है।

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