आगरा के अलंकार नहीं बढ़ा पाए बप्पा का ठाठ

आया ट्रेंड में बदलाव चांदी के दाम बढ़ने से घट गया आभूषण का वजन कोरोना काल में ट्रेन बंद होने से दो साल से आपूर्ति रुकी आया ट्रेंड में बदलाव चांदी के दाम बढ़ने से घट गया आभूषण का वजन कोरोना काल में ट्रेन बंद होने से दो साल से आपूर्ति रुकी

By JagranEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 11:59 PM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 11:59 PM (IST)
आगरा के अलंकार नहीं बढ़ा पाए बप्पा का ठाठ
आगरा के अलंकार नहीं बढ़ा पाए बप्पा का ठाठ

आगरा, जागरण संवाददाता। महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में गणेश चतुर्थी पर बप्पा के ठाठ आगरा के अलंकार (चांदी के आभूषण) नहीं बढ़ा सके। इसमें गुजरात के राजकोट ने बाजी मार ली। महाराष्ट्र के साथ ही आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल में भी कोरोना संक्रमण के चलते ट्रेन बंद होने से पिछले दो साल से चांदी के आभूषणों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। कर्नाटक में भी दाम बढ़ने से ट्रेंड में बदलाव आया है। अब कम वजन के चांदी आभूषणों की मांग बढ़ी है। ऐसे में कारोबारियों ने 20 से 300 ग्राम वजन के बजाय आठ से 100 ग्राम तक की पायल भेजनी शुरू कर दी हैं। आगरा में चांदी का कारोबार भी प्रतिदिन 30 करोड़ से घटकर 20 करोड़ पर आ गया हैं।

आगरा सराफा एसोसियेशन के अध्यक्ष नीतेश अग्रवाल व महामंत्री अशोक कुमार अग्रवाल, श्री सर्राफा कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज गुप्ता व आगरा सर्राफा उत्पादक एसोसियेशन के अध्यक्ष पवन दौनेरिया के अनुसार चांदी की पायल बनाने का उद्योग यहां काफी पुराना है। पहले राजकोट में सबसे बड़ी मंडी होती थी, अब आगरा ने उसका स्थान ले लिया है। करीब तीन लाख परिवार इस कारोबार से जुड़े हैं। करीब 50 हजार महिलाओं समेत दो लाख कारीगर हैं। यहां से देशभर में पायल, मंगलसूत्र, चूडियां, लौंग और पाजेब, गले की चैन, एंकलेट, चिक मोती की माला, सिक्के आदि की आपूर्ति हो रही है।

पिछले दो साल से कम वजन के आभूषण पर सर्वाधिक जोर दिया जा रहा है। राजकोट में पायल की जोड़ी कम से कम 30 ग्राम चांदी की तैयार होती है, आगरा में वही जोड़ी 15 ग्राम की तैयार होती है। ट्रेन यातायात प्रभावित होने के कारण आभूषणों की आपूर्ति महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल में राजकोट से हो रही है। यदि आगरा से निजी वाहन या अन्य माध्यम से यह माल भेजा जाएगा तो रेट में कम से पांच रुपये प्रति दस ग्राम का अतिरिक्त खर्च आएगा। राजकोट से ट्रेन की सुविधा होने के कारण यह खर्च नहीं आ रहा है। उन्होने बताया कि चांदी के अलावा प्लास्टिक और वुडन पायल भी लड़कियों के बीच काफी पसंद की जा रही है। इन दिनों सिर्फ एक ही पैर में पायल पहनने का ट्रेंड भी जोरों पर है। फार्मल और कैजुअल दोनों तरह के अवसरों के लिए अलग-अलग तरह के डिजाइन में पायल उपलब्ध हैं। महिलाओं के कामकाजी होने के कारण अब घुंघरू वाली पायल का चलन काफी कम हो गया है।

chat bot
आपका साथी