Ganga Saptami 2021: 18 को है गंगा सप्तमी और चित्रगुप्त जयंती, जानिए विशेष दिन का ये महत्व

Ganga Saptami 2021 गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की पूजा की जाती है। इस दिन स्नान दान का भी महत्व है। वहीं कायस्थ समाज के ईष्टदेव भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है। इसी दिन चित्रगुप्त का प्राकट्य ब्रह्मा जी की काया से हुआ था।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 02:25 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 02:25 PM (IST)
Ganga Saptami 2021: 18 को है गंगा सप्तमी और चित्रगुप्त जयंती, जानिए विशेष दिन का ये महत्व
18 मई को है गंगा एवं चित्रगुप्त जयंती का त्योहार।

आगरा, जागरण संवाददाता। वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि यानि 18 मई को सनातन धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार हैं। इस दिन भगवान चित्रगुप्त प्रकट हुए थे, वहीं मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं पहुंची थीं, इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी या गंगा जयंती के रूप में जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की पूजा की जाती है। इस दिन स्नान दान का भी महत्व है। वहीं, कायस्थ समाज के ईष्टदेव भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है।

कैसे हुआ भगवान चित्रगुप्त का जन्म

ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का निर्माण किया तब उन्होंने देव-असुर, गंधर्व, अप्सरा, स्त्री-पुरुष पशु-पक्षी सभी को बनाया। ऐसे ही यमराज का जन्म हुआ, जो धर्मराज कहलाए। उनको सभी जीवों को उनके कर्म के आधार पर सजा देने का अधिकार प्राप्त हुआ। तब उन्होंने ब्रह्मा जी से अपने लिए एक कुशल सहयोगी मांगा। तब 1000 वर्ष बाद ब्रह्मा जी की काया से दिव्य पुरुष भगवान चित्रगुप्त प्रकट हुए। ब्रह्मा जी की काया से जन्म होने के कारण चित्रगुप्त जी कायस्थ कहलाए। चित्रगुप्त जी को यमराज का मुंशी भी कहा जाता है। वे अपनी भुजाओं में कलम, दवात, करवाल और किताब धारण करते हैं। वे सभी जीवों के जीवन-मृत्यु का लेखा-जोखा रखते हैं। उसके आधार पर ही यमराज उनको दंड या न्याय देते हैं। यम द्वितीया या कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त और यमराज की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को बुरे कार्यों के लिए नरक में कष्ट नहीं भोगने पड़ते हैं।

गंगा जयंती या गंगा सप्तमी

वैशाख शुक्ल सप्तमी को गंगा सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा में स्नान मात्र से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट मिट जाते हैं और उसे जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। क्योंकि कोरोना वायरस महामारी और लाकडाउन के कारण घर से बाहर निकलना संभव नहीं है। इसलिये बेहतर रहेगा कि नहाने के पानी में थाेड़ा गंगाजल मिलाकर हर− हर गंगे का जाप करते हुए अपने आप डालें। 

गंगा अवतरण कथा

कपिल मुनि ने अपने श्राप से राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को भस्म कर दिया था। उनके मोक्ष के लिए उनके वंशज भगीरथ ने मां गंगा को धरती पर लाने के लिए कठोर तपस्या की। गंगा जी ने प्रसन्न होकर धरती पर अवतरित होने की बात मान ली, लेकिन उनका वेग इतनी तीव्र था कि धरती पर आने से प्रलय आ सकता था। तब भगवान शिव ने वैशाख शुक्ल सप्तमी को मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया, जिससे उनका वेग कम हो गया। तब से इस दिन को गंगा सप्तमी या गंगा जयंती के रूप में मनाते हैं। भगवान शिव की जटाओं से होते हुए मां गंगा धरती पर अवतरित हुईं और भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष प्रदान किया। 

chat bot
आपका साथी